बाघ का सिर और प्रायवेट पार्ट काटने वाले छतरपुर जिले के 3 आरोपी गिरफ्तार, पकड़े जाने के डर से नदी में फेंक दिया था सिर और जमीन में गाड़ दिए थे अन्य अंग

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केन नदी में सर्चिंग के दौरान बाघ पी-123 का शव इस स्थिति में बरामद हुआ था, उसका सिर गायब था। (फाइल फोटो)

* कुल्हाड़ी और हंसिया का उपयोग कर काटे थे अंग

* पकड़े गए शिकारियों में झोलाछाप डॉक्टर भी शामिल

* पन्ना के बाघ पी-123 के सिर और अन्य अवयवों को काटने वाले आरोपी गिरफ्तार

* बाघ के अंगों की तस्करी से जुड़े इस अपराध की सच्चाई को छिपाने का पूर्व क्षेत्र संचालक पर है आरोप

शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स भोपाल की टीम ने पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघ पी-123 का सिर और अन्य अंगों को काटकर ले जाने के बहुचर्चित मामले का खुलासा करते हुए छतरपुर जिले के तीन शिकारियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों में छतरपुर जिले के ग्राम पलकोहा निवासी एक झोलाछाप घनश्याम कुशवाह उर्फ डॉक्टर भी शामिल है। जिसके बहकावे में आकर अन्य दो आरोपियों ने बाघ की गर्दन को कुल्हाड़ी से काटा था। इसके अलावा उसके प्रायवेट पार्ट को हंसिया से काटा गया था। बाघ के कुछ अवशेष भी जब्त हुए हैं। बाघ पी-123 के सिर के साथ अन्य अंगों भी गायब होने और उन्हें धारदार हथियार से काटे जाने का खुलासा होने के बाद वन्यजीवों के अंगों की तस्करी से जुड़े इस सनसीखेज अपराध की जांच स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स भोपाल को सौंपी गई थी।
स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स भोपाल की टीम के द्वारा गिरफ्तार किये गए आरोपी।
करीब एक माह कड़ी मशक्कत के बाद इस मामले का खुलासा करते एसटीएसएफ ने छतरपुर जिले के तीन शिकारियों को गिरफ्तार किया है। प्रधान वन संरक्षक वन्य-प्राणी आलोक कुमार ने बताया कि आरोपियों छतरपुर जिले के ग्राम पलकोहा निवासी घनश्याम कुशवाह उर्फ डॉक्टर, अच्छेलाल पिता भूरा और नत्थू मोती ने अपराध स्वीकार कर लिया है। आरोपियों ने बताया कि बाघ के अंगों को काटने के बाद पकड़े जाने के डर से केन नदी में उसका सिर फेंक दिया था और अन्य अंगों को नदी के ही पास गाड़ दिया था। उस स्थल से भी एसटीएफ द्वारा कुछ अवशेष जब्त किये गये हैं। इन्हें फॉरेंसिक जाँच के लिये भेजा रहा रहा है। प्रधान वन संरक्षक वन्य-प्राणी आलोक कुमार ने एसटीएसएफ की टीम को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिये सम्मानित करने की घोषणा की है।
के.एस. भदौरिया।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व की हिनौता रेन्ज अंतर्गत बाघ पी-123 आपसी संघर्ष में घायल होकर केन नदी में गिर गया था। घटना के तीसरे दिन 10 अगस्त, 2020 को बाघ का शव नदी में तैरता हुआ मिला था। उसका सिर गायब था। पन्ना टाइगर रिजर्व के तत्कालीन क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि बाघ के तीन दिन तक नदी के पानी में रहने से उसके सिर को शायद मगरमच्छ ने खा लिया। बाघ का शव मिलने के लगभग 20 दिन बाद जब यह खुलासा हुआ कि उसके सिर के साथ अन्य प्रायवेट पार्ट भी गायब थे और सभीअंगों को धारदार हथियार से काटा गया है, तो यह सच्चाई जानकार हर कोई दंग रह गया। पन्ना टाइगर रिजर्व के तत्कालीन क्षेत्र संचालक ने बाघ के अंगों की तस्करी से जुड़े इस संगीन अपराध को छिपाते हुए बाघ के अंगों को धारदार हथियार से काटे जाने तथा सिर के अलावा भी दूसरे अंग गायब होने की बात को आधिकारिक तौर पर जारी प्रेस विज्ञप्ति में छिपाया था।
पन्ना टाइगर रिजर्व का हिनौता स्थित प्रवेश द्वार। (फाइल फोटो)
इस घटनाक्रम को लेकर विभाग के अंदरखाने यह चर्चा रही है कि तत्कालीन क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने बाघ पी-123 के मामले में हुई घोर लापरवाही पर पर्दा डालने के इरादे से घटना की सच्चाई को जानबूझकर छिपाया था। मालूम हो कि पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पी-123 के पूर्व महज 8 माह के अंदर 4 बाघों की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत के मामले सामने आए थे। जिसे लेकर पार्क प्रबंधन की मीडिया में तीखी आलोचना हो रही थी साथ ही बाघों की निगरानी एवं सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार गंभीर सवाल उठ रहे थे। ऐसे माहौल में पार्क के अधिकारियों ने बाघ पी-123 के मामले में अपनी बड़ी लापरवाही को छिपाने के लिए बाघ के सिर को मगरमच्छों के द्वारा अपना निवाला बनाने की मनगढ़ंत कहानी और आधी-अधूरी सच्चाई का प्रेस विज्ञप्ति में उल्लेख किया था। भोपाल में बैठे शीर्ष अधिकारियों को भी इस मामले पर गुमराह किया गया था। जिसके चलते पिछले दिनों सीनियर आईएफएस अफसर के.एस. भदौरिया को पन्ना टाइगर रिजर्व से हटाकर भोपाल स्थित प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय में अटैच किया गया है।