* स्वास्थ्य और महिला बाल विकास का मैदानी अमला निष्क्रिय
* कोरोना की तीसरी आने लहर की चेतावनी को लेकर लापरवाही कहीं भारी न पड़ जाए !
शादिक खान, पन्ना।(wwwradarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिला मुख्यालय से सटी छोटी सी आदिवासी बस्ती मजरा ग्राम चांदमारी (मानस नगर) में सप्ताह भर के दौरान तीन परिवारों के चिराग हमेशा के लिए बुझ गए। मासूम किलकारियों के असमय खामोश होने के वज्रपात से अब यहां हर तरफ मातमी चींखें गूँज रहीं हैं। जिन गरीबों की गोद सूनी हुई है वे इस त्रासदी के कारण गहरे सदमे में हैं, वहीं गांव में जिनके बच्चे अभी भी बीमार हैं उन दंपत्तियों की साँसें हलक में अटकीं हैं। मालूम हो कि चांदमारी में रहने वाले अधिकांश आदिवासी पेशे से मजदूर हैं, जोकि अशिक्षा-जागरूकता के आभाव में भीषण गरीबी-बेरोज़गारी से जकड़े होने के कारण बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
इस बस्ती से मासूम बच्चों की मौत की स्तब्ध करने वाली खबर ऐसे समय पर आई है, जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर काफी कमजोर पड़ चुकी है और तीसरी लहर के जल्द ही दस्तक देने की संभावना विशेषज्ञों के द्वारा जताई जा चुकी है। आशंका जाहिर की गई है, तीसरी लहर का सबसे अधिक कहर हमारे बच्चों पर टूटेगा। कोरोना की पहली और दूसरी लहर की रोकथाम में बुरी तरह नाकाम रहीं सरकारों की आपराधिक लापरवाही के कारण मौत के भयावह तांडव को हरेक इंसान ने देखा और महसूस किया है। शवों से पट चुके शमशानों और कब्रिस्तानों से आए रूह कंपा देने वाले दृश्यों, मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत, समय पर दवाई और इलाज न मिलने से दम तोड़ती सांसों की चीत्कारें अभी भी गूँज रहीं हैं। मानवता पर कहर बनकर टूटी इस आपदा में जीवनदायिनी नदियों को हमने शववाहिनीं में तब्दील होते भी देखा है।
कोरोना की पहली और दूसरी लहर के प्रदेश व देश में तबाही मचाने से पहले अदूरदर्शी सत्तासीनों के द्वारा जिस तरह के दावे आवश्यक तैयारियों को लेकर किए जा रहे थे उनका खोखलापन इतिहास के पन्नों में आपराधिक कुप्रबंधन की सबसे भयानक त्रासदी के रूप में दर्ज हो चुका है। लाखों-लाख परिवार इस त्रासदी से मिले कभी न भरने वाले जख्म की असहनीय पीड़ा को अब हर पल झेल रहे हैं। ऐसे में कोरोना की अब तक की सबसे विनाशकारी बताई जा रही तीसरी लहर की चर्चा सिहरन पैदा करने वाली है, लेकिन जिक्र इसलिए करना पड़ा क्योंकि एक बार फिर हमें बताया जा रहा है की तीसरी लहर की रोकथाम को लेकर सरकारें पूरी तरह तैयार हैं, सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जा चुकीं हैं और नीचे से लेकर ऊपर तक शासन-प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। मगर, जब चांदमारी सरीकी हैरान करने वालीं घटनाएं उजागर होतीं हैं तो मैदानी अमले से लेकर कथित जिम्मेदारों की सजगता सवालों के कठघरे में खड़ी नजर आती है।
पन्ना जिला मुख्यालय से लगी चांदमारी बस्ती में महज आधा सैंकड़ा परिवार ही रहते हैं। इतनी कम आबादी वाले मजरा ग्राम में सप्ताह भर में तीन बच्चों की अज्ञात कारणों के चलते मौत हो जाना और 14 बच्चों के बीमार होने की खबर चिंता पैदा करती है। इससे पता चलता है कि महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का मैदानी अमला अपने कर्तव्यों का निर्वाहन ईमानदारी से नहीं कर रहा है। अगर, मैदानी अमला सजग होता तो शायद चांदमारी के हालात इतने खराब नहीं हो पाते। बहरहाल, सभी बीमार बच्चों का इलाज शुरू हो चुका है। स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने बताया कि, बीमार बच्चों का कोरोना टेस्ट कराया गया है। राहत की बात यह है कि उनमें कोई भी पॉजिटिव नहीं पाया गया। सभी बच्चे सर्दी-जुखाम-खांसी-बुखार से पीड़ित हैं। बीमारी की रोकथाम के लिए प्रशासन ने राजस्व, महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीम को चांदमारी भेजा है। डॉक्टरों की निगरानी में सभी बीमार बच्चों का इलाज जारी है।
कुंए का पीते हैं पानी
वर्तमान में पड़ रही भीषण उमस भरी बेहाल करने वाली गर्मी में चांदमारी के 3 बीमार बच्चों की मौत किन कारणों से हुई और इतने अधिक बच्चे कैसे बीमार पड़े यह फिहलहाल स्पष्ट नहीं हो सका। ग्राम पंचायत पुरुषोत्तमपुर के अंतर्गत आने वाली इस बस्ती (मानस नगर) के लोग लम्बे समय से बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। बस्ती के लोग पीने का पानी कुछ दूरी पर स्थित कब्रिस्तान परिसर के कुंए से लाते हैं। चांदमारी में बीमारी की रोकथाम को लेकर किए जा रहे प्रयासों की सफलता के लिए कुंए के पानी की जांच कराने की ओर ध्यान दिए जाने की जरुरत है। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बस्ती के लोग जो पानी पी रहे हैं वह दूषित तो नहीं है।