तंत्र की उपेक्षा से निराश जन का ऐलान | विधानसभा चुनाव का पुनः करेंगे बहिष्कार

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जिला पंचायत उपाध्यक्ष माधवेन्द्र सिंह के नेतृत्व में कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन सौंपते गौरा के ग्रामीण।

गौरा के ग्रामीणों ने मतदान ना करने का लिया सामूहिक निर्णय

देवेन्द्रनगर से गौरा ग्राम को पृथक कर पन्ना तहसील में जोड़ने सौंपा ज्ञापन

पन्ना। रडार न्यूज     वर्तमान व्यवस्था में लोक यानि आम आदमी की हैसियत लगातार तेजी से कमजोर हो रही है, इसके विपरीत तंत्र अर्थात शासन-प्रशासन में बैठे लोगों की व्यवस्था पर पकड़ बेहद मजबूत हो चुकी है। जिसका दुष्परिणाम यह है कि सत्तासीन आमजन के प्रति अपनी जिम्मेदारी और जबाबदेही से मुँह मोड़कर खुलकर मनमानी कर रहे है। जनसमस्याओं के समाधान से इन्हें कोई सरोकार नहीं है। यहां तक कि आश्वासन देने के बाद भी ये जनहित से जुड़ी जायज मांग को समय पर पूरा करने के प्रति ईमानदार नहीं हैं। इस अराजकतापूर्ण माहौल में चौतरफा घोर उपेक्षा, हताशा-निराशा और बेबसी के चलते जनमानस में लोकतंत्र के महापर्व यानि चुनाव में मतदान रुपी अपनी भागीदारी के प्रति अरुचि पैदा हो रही है। जनप्रतिनिधियों और व्यवस्था के द्वारा खुद को ठगा महसूस कर रहे लोगों की पीड़ा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें अपनी मांग को पूरा कराने के लिए चुनाव में सामूहिक रूप से मतदान का बहिष्कार करने का कठोर निर्णय लेना पड़ रहा है। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की देवेंद्रनगर तहसील के ग्राम गौरा का मामला इसका एक उदाहरण मात्र है। यहां के लोगों ने वर्ष 2013 की तरह एक बार फिर विधानसभा चुनाव में सामूहिक रूप से मतदान का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। इसका कारण इनकी समस्या का आज तक समाधान न होना है।

तहसील बदलने से बढ़ी मुश्किलें

दरअसल कुछ वर्ष पूर्व तक गौरा ग्राम पन्ना तहसील के अंतर्गत आता था। बाद में इसे देवेंद्रनगर तहसील में शामिल कर दिया गया। बस यहीं से गौरा के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई। बताते चलें कि गौरा से देवेंद्रनगर तहसील की दूरी करीब 60 किलोमीटर है जबकि पन्ना से यह महज 30 किलोमीटर दूर स्थित है। अर्थात देवेंद्रनगर की तुलना में पन्ना का फासला आधा है। इसके मद्देनजर गौरा के वाशिंदे लंबे समय से अपने गांव को देवेंद्रनगर तहसील से पृथक कर पन्ना तहसील में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि देवेंद्रनगर तक आवागमन के लिए सार्वजानिक परिवहन का कोई सीधा साधन उनके गांव से नहीं है। उन्हें पहले गुनौर जाना पड़ता है फिर वहां से ककरहटी या कटन होकर देवेंद्रनगर के लिए बस मिलती है। इस तरह आवागमन में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है साथ ही उनका समय और रुपया भी अधिक लगता है।

सांकेतिक फोटो।

देवेंद्रनगर तहसील मुख्यालय से दूरी अधिक होने और गौरा की भौगोलिक स्थिति के कारण यह गांव अलग-थलग सा पड़ गया है। इस समस्या का निराकरण न होने से नाराज ग्रामीणों ने वर्ष 2013 सामूहिक रूप से विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया था। तब गौरा ग्राम को पन्ना तहसील से जोड़ने का निर्णय लेकर तत्परता से इस समस्या का  समाधान करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन गहरी नींद में सो रहे जिला प्रशासन इन पांच वर्षों में गौरा ग्राम को पन्ना तहसील में शामिल कराने के लिए कुछ भी नहीं किया। जिससे क्षुब्ध ग्रामीणों ने आगामी विधानसभा चुनाव का एक बार फिर बहिष्कार करने की चेतावनी दी है।

मांग पूरी न होने पर नहीं करेंगे मतदान

गौरा के ग्रामीणों ने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को अपनी समस्या के समाधान का अंतिम अवसर देते हुए यह ऐलान किया है कि चुनाव के पूर्व यदि उनके गांव को पन्ना तहसील में शामिल नहीं किया गया तो उन्हें पुनः विधानसभा चुनाव में मतदान का सामूहिक बहिष्कार करने के लिए विवश होना पड़ेगा। इस संबंध गत दिवस जिला पंचायत पन्ना के उपाध्यक्ष के नेतृत्व में कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया। है। ज्ञापन सौंपने वालों में हरदेव सिंह, केदारप्रसाद, राजकुमार, बखत सिंह, रामबहोरी, सतेंद्र, गयाप्रसाद, संतोष सिंह, बैजनाथ सिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन मौजूद रहे। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जिला प्रशासन समय रहते इस मांग को पूरा कर पता है या नहीं और गौरा के ग्रामीण मतदान को लेकर क्या फैसला लेते हैं।