* पन्ना टाइगर रिजर्व में शासन के आदेशों की उड़ाईं जा रहीं धज्जियां
* रेंजरों और सीनियर डिप्टी रेंजरों को दरकिनार कर जूनियरों को दिया रेन्ज का प्रभार
* कथित परफॉर्मेंस की आड़ में चहेतों को उपकृत करके निहित स्वार्थ साधने पर जोर
* उपेक्षित और अपमानित महसूस कर रहा है अन्याय का शिकार मैदानी अमला
शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापना के अनूठे प्रयोग की चमत्कारिक सफलता के चलते यहां बाघों का उजड़ा हुआ संसार पुनः आबाद होने और इनकी ज्ञात संख्या अब तक के रिकार्ड अनुसार पहली बार 60 से अधिक के आंकड़े के पार पहुँचने से जुड़ीं कई अच्छी और सकारात्मक खबरें आपने पढ़ीं-सुनीं और देखी होंगीं। बड़े ही रोचक अंदाज वाली इन खबरों को पढ़ने वाले पाठकों को लगता है कि पन्ना पार्क में सबकुछ अच्छा है, लेकिन ऐसा नहीं है। बेशक पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या निरंतर तेजी से बढ़ रही है लेकिन वनराज के लिए यहां खतरा भी उसी अनुपात में बढ़ रहा है। बाघ और दूसरे वन्यजीवों की सुरक्षा एवं निगरानी से जुड़ीं चुनौतियों भी पहले से कई गुना बढ़ गईं हैं। पन्ना के जंगलों में शिकारी और वन्यजीव तस्कर गिरोहों ने अपना जाल बिछा रखा है। मगर बाघों के पुनः आबाद होने एवं उनकी वंशवृद्धि की ऐतिहासिक सफलता की गौरव गाथा से जुड़ी आत्ममुग्धता में पार्क के शीर्ष अधिकारी पिछले कुछ सालों से इतने डूबे हुए हैं कि उन्हें दिनों-दिन लचर पड़ता पार्क का प्रबंधन नजर ही नहीं आ रहा है।
कड़ी सुरक्षा और निगरानी वाले पार्क के कोर क्षेत्र में पिछले छः माह में दो बाघों की संदेहास्पद मौत होने का पता कई दिनों बाद तब चला जब बाघों के शव कंकाल में तब्दील हो गए। इन परिस्थितयों में बाघों की संदिग्ध मौत का सच सामने आने की उम्मीद न के बराबर है। वहीं लगभग ढाई वर्ष पूर्व पीटीआर की गहरीघाट रेन्ज अंतर्गत कोर क्षेत्र में रेडियो कॉलर वाली बाघिन का फंदा लगाकर शिकार किये जाने और कुछ समय पूर्व पन्ना बफर रेन्ज क्षेत्र की टपकनियाँ बीट में बड़े पैमाने पर सागौन की अवैध कटाई होने के हैरान करने वाले मामलों ने पार्क प्रबंधन की बड़ी नाकामी को उजागर किया था। पन्ना पार्क का स्याह पहलू कुप्रबंधन के साथ-साथ भ्रष्टाचार और अफसरों की मनमानी से जुड़ा है, जिस पर मीडिया में चर्चा कम ही होती है। ये दोनों बुराईयां पीटीआर को जंगलराज की तरफ ले जा रहीं हैं।
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब पन्ना पार्क की अमानगंज रेन्ज में पदस्थ युवा वनरक्षक ब्रह्मप्रकाश सिंह को अपनी लंबित वेतन के भुगतान के एवज में रिश्वत की मांग से परेशान होकर लोकायुक्त पुलिस संगठन की शरण लेनी पड़ी थी। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक कार्यालय में लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने बड़ी ट्रैप कार्रवाई को अंजाम देते हुए दो लिपिकों को वनरक्षक से पांच हजार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति इसलिए बनीं क्योंकि पार्क के बड़े अफसर कथित तौर पर मैदानी वन अमले की समस्याओं और जायज मांगों के निराकरण को लेकर जानबूझकर उदासीनता बरत रहे हैं। साथ ही पार्क के कार्यालयों में दाम कराए काम की नीति से प्रभावित होकर मनमाने फैसले लिए जा रहे हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के अफसरों की हद दर्जे की मनमानी के आगे शासन के आदेश-निर्देश एवं नियम-क़ानून तक बेमानी बन चुके हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण रेन्जरों और सीनियर डिप्टी रेंजरों को दरकिनार करते हुए जूनियर डिप्टी रेन्जरों को रेन्ज का प्रभार देना है। इन सब वजहों से पार्क मैदानी अमले में अधिकारियों के खिलाफ तीव्र असंतोष पनप रहा है।
उल्लेखनीय है कि पार्क की पन्ना बफ़र रेन्ज का प्रभार मनोज सिंह बघेल एवं अमानगंज और पन्ना कोर रेन्ज का प्रभार लालबाबू तिवारी को दिया गया है। जबकि पार्क में इनसे काफी सीनियर आधा दर्जन से अधिक डिप्टी रेन्जर पदस्थ हैं। काफी विवादित और सीनियरटी के क्रम में निचले पायदान पर आने वाले इन दोनों डिप्टी रेन्जरों पर बड़े साहब मेहरबान हैं इसलिए वे पहलवान बने हुए है। कई सालों से पन्ना जिले में पदस्थ डिप्टी रेन्जर लालबाबू तिवारी और मनोज सिंह बघेल को लेकर विभाग के अंदरखाने आम चर्चा है कि इनकी सबसे बड़ी क़ाबलियत ऊँची राजनैतिक पहुँच और अफसरों को नियमित रूप से फील गुड का एहसास कराना है। मौजूदा व्यवस्था में कुर्सी के लिए सबसे अहम योग्यता और मापदण्ड अब यही है, शेष अन्य का इनके आगे कोई महत्व नहीं रहा। मजेदार बात तो यह है कि जूनियरों को रेन्ज के प्रभार की रेवड़ी बांटने के मामले में सीनियर डिप्टी रेंजरों के अलावा एमपी पीएससी से चयनित रेंजरों तक की घोर उपेक्षा की जा रही है।
रेन्जर गौरव नामदेव को फील्ड से हटाकर कई महीनों से उड़नदस्ता प्रभारी बनाया हुआ है। इसी तरह पार्क क्षेत्र में आने वाली दमोह जिले की मड़ियादौ रेन्ज जिसे शासन ने अब तक रेन्ज घोषित नहीं किया है वहां रेन्जर हृदेश भार्गव को पदस्थ किया गया है। पार्क के वरिष्ठ अधिकारियों की यह मनमानी नहीं तो और क्या है ? रेन्जों के प्रभार को लेकर कथित तौर अपने साथ हो रहे अन्याय से प्रभावित सीधी भर्ती के रेन्जर और सीनियर डिप्टी रेन्जर ऑफ रिकार्ड बात करने पर इस भेदभाव को अपने अधिकारों और हितों पर कुठाराघात बताते हैं। इनका मानना है कि जूनियर डिप्टी रेन्जरों को उपकृत करके प्रधान मुख्य वन संरक्षक के आदेश व शासन के नियम-कानूनों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाईं जा रहीं हैं। इनकी चिंता और हैरानी इस बात को लेकर है कि राजधानी भोपाल में बैठे वन विभाग के शीर्ष अधिकारी अपने ही निर्देशों की अवहेलना पर मौन हैं। जिससे पन्ना टाइगर रिजर्व के अफसरों के मनमाने फैसलों को शीर्ष अधिकारियों की मूक सहमति प्राप्त होने की चर्चाओं को बल मिल रहा है।
उपेक्षा और अपमान से जुड़ा मामला
पन्ना पार्क के वरिष्ठ अधिकारी रेन्जों का प्रभार देने के मामले में कथित तौर पर अपनी हनक और निहित स्वार्थपूर्ती के चक्कर में न सिर्फ टीम भावना को कमजोर कर रहे हैं बल्कि इनके द्वारा गलत प्रतिमान स्थापित किये जा रहे हैं। रेन्जर गौरव नामदेव को कई माह से रेन्ज का प्रभार न देने और रेन्जर हृदेश भार्गव को मड़ियादो में पदस्थ कर इन दोनों युवा अधिकारियों को प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से उपेक्षित और अपमानित किया जा रहा है। विदित हो कि मड़ियादो शासन से घोषित रेन्ज नहीं है, पन्ना टाइगर रिजर्व अंतर्गत आने वाले दमोह जिले के इस वन क्षेत्र की गिनती स्थानीय स्तर पर रेन्ज के रूप में होती है। इसका मतलब यह है कि रेन्जर हृदेश भार्गव भी रेन्ज के प्रभार से वंचित हैं।
मजेदार बात यह कि डिप्टी रेन्जरों की प्रदेश स्तरीय वरिष्ठता सूची में 271 नम्बर पर आने वाले लालबाबू तिवारी को पन्ना कोर और अमानगंज दो रेन्ज का प्रभार दिया गया है। इसी तरह वरिष्ठता सूची में 546 नम्बर पर आने वाले डिप्टी रेन्जर मनोज सिंह बघेल को पन्ना बफर रेन्ज के प्रभार मिला है। गौरतलब है कि उक्त दो रेन्जरों के अलावा पन्ना पार्क में पदस्थ डेढ़ दर्जन सीनियर डिप्टी रेंजरों को दरकिनार करते हुए जूनियर डिप्टी रेन्जरों को वन परिक्षेत्र का प्रभार सौंपने के मामले वरीयता दी गई। बताते चलें इससे प्रभावित डिप्टी रेन्जर कृपाल सिंह गौंड़ का नाम वरिष्ठता सूची में क्रमांक-03, रमेश रामधुनिया-04, रामयश श्रीवास्तव-07, मुन्नालाल चौरसिया-46, बुद्ध सेन कोल-51,राम सिंह यादव-65, संतोष हरने-77, रामप्रसाद प्रजापति-121, विश्राम सिंह-137 और अमर सिंह का-542 नम्बर पर है।
फॉरेस्ट के एक अधिकारी ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि रेन्ज का प्रभार सर्वप्रथम रेन्जर को दिया जाना चाहिए। यदि कहीं रेन्जर नहीं है तो वहां शासन के निर्देशानुसार सबसे वरिष्ठ डिप्टी रेन्जर को रेन्ज का प्रभार मिलना चाहिए। लेकिन रेन्जर और सीनियर डिप्टी रेन्जरों की उपेक्षा कर जूनियर डिप्टी रेन्जरों को प्रभार सौंपना तो अनुचित और आपत्तिजनक है। पीटीआर के अधिकारियों की इस मनमानी से पार्क के प्रबंधन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ-साथ विचित्र और हास्यास्पद स्थितियां भी निर्मित हो रहीं है। जैसे कि- पन्ना बफर रेन्ज में पदस्थ सीनियर डिप्टी रेन्जर राम सिंह यादव का नाम प्रदेश स्तरीय वरिष्ठता सूची में-65 वें स्थान पर है जबकि वह प्रभारी रेन्जर मनोज सिंह बघेल के अधीन काम कर रहे हैं जिनका नम्बर डिप्टी रेन्जरों की वरिष्ठता सूची में काफी नीचे-546 है। सवाल यह है कि अपने पद और अधिकारों का मनमाने तरीके से उपयोग कर अधीनस्थ अमले के साथ भेदभाव, उनके अधिकारों का हनन करने और प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से उन्हें प्रताड़ित करने वाले अधिकारी क्या अपने साथ इस तरह के बर्ताव को सहन कर पाएंगे ?
रेन्जों के प्रभार देने में की गई मनमानी से प्रभावित रेंजर एवं डिप्टी रेंजर
नाम |
पद |
वरिष्ठता क्रमांक |
रेंज का प्रभार |
1. गौरव नामदेव |
रेंजर |
नहीं |
|
2. हृदेश भार्गव |
रेंजर |
नहीं |
|
3. कृपाल सिंह गौड़ |
डिप्टी रेंजर |
03 |
नहीं |
4. रमेश रमधुनिया |
डिप्टी रेंजर |
04 |
नहीं |
5. रामयश श्रीवास्तव |
डिप्टी रेंजर |
07 |
नहीं |
6. मुन्नालाल चौरसिया |
डिप्टी रेंजर |
46 |
नहीं |
7. बुद्ध सेन कोल |
डिप्टी रेंजर |
51 |
नहीं |
8. राम सिंह यादव |
डिप्टी रेंजर |
65 |
नहीं |
9. संतोष हरने |
डिप्टी रेंजर |
77 |
नहीं |
10. रामप्रसाद प्रजापति |
डिप्टी रेंजर |
121 |
नहीं |
11. लालबाबू तिवारी |
डिप्टी रेंजर |
271 |
पन्ना कोर एवं अमानगंज |
12. अमर सिंह |
डिप्टी रेंजर |
542 |
नहीं |
13. मनोज सिंह बघेल |
डिप्टी रेंजर |
546 |
पन्ना बफर रेंज |