* अजयगढ़ अनुभाग अंतर्गत मण्डल धरमपुर के खोरा ग्राम का मामला
* अनावेदक ने मौके का फायदा उठाकर विवादित भूमि पर बना ली दीवार
* नायब तहसीलदार को सौंपी गई थी स्थगन आदेश तामीली की जिम्मेदारी
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) आजादी के अमृत महोत्सव के बीच पन्ना जिले में वर्तमान समय में प्रशासनिक अंधेरगर्दी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। रेत की लूट के लिए प्रदेश स्तर पर बदनाम जिले का अजयगढ़ अनुभाग अराजकता का नया केन्द्र बनकर उभरा है। आपदा में अवसर की खोज के महान कार्य के लिए सदैव तत्पर और समर्पित रहने वाले कर्मठ अफसरों व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में अजयगढ़ अनुभाग अंतर्गत पिछले पांच माह से बिना किसी ठेका के प्रतिदिन लगभग पांच करोड़ से अधिक की रेत अवैध तरीके से निकाली जा रही है। रेत की खुलेआम जारी लूट से आर्थिक हित साधने में जुटे जिम्मेदार इतने अधिक व्यस्त हैं कि, वे अपने कर्तव्यों और पदीय दायित्वों के निर्वाहन को भूले हुए है। रेत माफिया से यारी निभाने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाले जिम्मेदारों का आमजन से जुड़े मुद्दों के निराकरण को लेकर बेपरवाह रवैया लगातार सामने आ रहा है। जिसका खामियाजा क्षेत्र कमजोर और गरीब तबके के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला अजयगढ़ अनुभाग के धरमपुर मण्डल अंतर्गत सामने आया है।
उल्लेखनीय है कि ग्राम खोरा में स्थित भूमि खसरा नंबर- 2195 का कब्ज़ा संबंधी प्रकरण न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अजयगढ़ में लंबित है। एसडीएम कोर्ट ने इस मामले का निराकरण होने तक विवादित भूमि में निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए आवेदक रामसेवक, श्रीकृष्ण, सत्यनारायण पिता दशरथ लोध और चंद्रपाल पिता रामस्वरूप लोध के स्थगन आदेश (स्टे आर्डर) दिनांक 12 अप्रैल 2022 को जारी किए गए थे। स्थगन आदेश में नायब तहसीलदार को निर्देशित किया गया था कि आदेश की प्रतियां उत्तरार्थीगण राजा, धरमपाल पिता भगवत लोध को तामील कराकर न्यायालय में पेश करें।
आवेदकगणों का आरोप है कि, उत्तरार्थीगण को स्थगन आदेश की तामीली दिनांक 02 मई 2022 तक नहीं की गई। अजयगढ़ अनुभाग के ही अंतर्गत स्टे आर्डर की तामीली 20 दिन से अधिक समय तक नहीं की गई। जिसका लाभ उठाकर अनावेदक (उत्तरार्थीगण) ने विवादित भूमि पर दिनांक 01 मई 2022 की रात में दीवार का निर्माण कर लिया। आवेदकों ने नायब तहसीलदार को मोबाइल फोन पर कॉल कर अवैध निर्माण कार्य की जानकारी दी गई। साथ ही तब तक स्थगन आदेश तामील न होने का कारण पूंछा तो नायब तहसीलदार ने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
बता दें कि, स्थगन आदेश संबंधितों को तत्काल प्रभाव से तामील किये जाने वाले आदेश की श्रेणी में आते हैं। ताकि विवाद की संभावना और भूमि के स्वरूप में किसी भी परिवर्तन को तुरंत रोका जा सके। मगर इस मामले में 20 दिन से अधिक समय तक स्थगन आदेश सभी पक्षों को तामील न हो पाने के कारण अवैध निर्माण कार्य किये जाने के चलते स्थगन आदेश मजाक बन चुका है।