भर्रेशाही ! अनुविभागीय अधिकारी राजस्व का स्थगन आदेश बना मज़ाक, 20 दिन तक आदेश की नहीं हुई तामीली

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फाइल फोटो।

*    अजयगढ़ अनुभाग अंतर्गत मण्डल धरमपुर के खोरा ग्राम का मामला

*    अनावेदक ने मौके का फायदा उठाकर विवादित भूमि पर बना ली दीवार

*    नायब तहसीलदार को सौंपी गई थी स्थगन आदेश तामीली की जिम्मेदारी

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) आजादी के अमृत महोत्सव के बीच पन्ना जिले में वर्तमान समय में प्रशासनिक अंधेरगर्दी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। रेत की लूट के लिए प्रदेश स्तर पर बदनाम जिले का अजयगढ़ अनुभाग अराजकता का नया केन्द्र बनकर उभरा है। आपदा में अवसर की खोज के महान कार्य के लिए सदैव तत्पर और समर्पित रहने वाले कर्मठ अफसरों व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में अजयगढ़ अनुभाग अंतर्गत पिछले पांच माह से बिना किसी ठेका के प्रतिदिन लगभग पांच करोड़ से अधिक की रेत अवैध तरीके से निकाली जा रही है। रेत की खुलेआम जारी लूट से आर्थिक हित साधने में जुटे जिम्मेदार इतने अधिक व्यस्त हैं कि, वे अपने कर्तव्यों और पदीय दायित्वों के निर्वाहन को भूले हुए है। रेत माफिया से यारी निभाने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाले जिम्मेदारों का आमजन से जुड़े मुद्दों के निराकरण को लेकर बेपरवाह रवैया लगातार सामने आ रहा है। जिसका खामियाजा क्षेत्र कमजोर और गरीब तबके के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला अजयगढ़ अनुभाग के धरमपुर मण्डल अंतर्गत सामने आया है।
उल्लेखनीय है कि ग्राम खोरा में स्थित भूमि खसरा नंबर- 2195 का कब्ज़ा संबंधी प्रकरण न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अजयगढ़ में लंबित है। एसडीएम कोर्ट ने इस मामले का निराकरण होने तक विवादित भूमि में निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए आवेदक रामसेवक, श्रीकृष्ण, सत्यनारायण पिता दशरथ लोध और चंद्रपाल पिता रामस्वरूप लोध के स्थगन आदेश (स्टे आर्डर) दिनांक 12 अप्रैल 2022 को जारी किए गए थे। स्थगन आदेश में नायब तहसीलदार को निर्देशित किया गया था कि आदेश की प्रतियां उत्तरार्थीगण राजा, धरमपाल पिता भगवत लोध को तामील कराकर न्यायालय में पेश करें।
आवेदकगणों का आरोप है कि, उत्तरार्थीगण को स्थगन आदेश की तामीली दिनांक 02 मई 2022 तक नहीं की गई। अजयगढ़ अनुभाग के ही अंतर्गत स्टे आर्डर की तामीली 20 दिन से अधिक समय तक नहीं की गई। जिसका लाभ उठाकर अनावेदक (उत्तरार्थीगण) ने विवादित भूमि पर दिनांक 01 मई 2022 की रात में दीवार का निर्माण कर लिया। आवेदकों ने नायब तहसीलदार को मोबाइल फोन पर कॉल कर अवैध निर्माण कार्य की जानकारी दी गई। साथ ही तब तक स्थगन आदेश तामील न होने का कारण पूंछा तो नायब तहसीलदार ने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
बता दें कि, स्थगन आदेश संबंधितों को तत्काल प्रभाव से तामील किये जाने वाले आदेश की श्रेणी में आते हैं। ताकि विवाद की संभावना और भूमि के स्वरूप में किसी भी परिवर्तन को तुरंत रोका जा सके। मगर इस मामले में 20 दिन से अधिक समय तक स्थगन आदेश सभी पक्षों को तामील न हो पाने के कारण अवैध निर्माण कार्य किये जाने के चलते स्थगन आदेश मजाक बन चुका है।

कलेक्टर से की लिखित शिकायत

स्टे आर्डर समय पर तामील न होने से प्रभावित आवेदकों के द्वारा मामले की लिखित शिकायत पन्ना कलेक्टर से की गई।
इस विडंबना पूर्ण स्थिति में खुद को छला हुआ महसूस कर रहे आवेदकों ने मामले की लिखित शिकायत दिनांक 04 मई 2022 पन्ना कलेक्टर से की गई। आवेदकगणों का आरोप है कि, कथित तौर पर नायब तहसीलदार की मिलीभगत के चलते स्थगन आदेश जारी होने के बाद भी उत्तरार्थीगण अवैध निर्माण कार्य करने में सफल हो गए। शिकायत में बताया गया है, दिनांक 01 मई को नायब तहसीलदार से फोन पर बात करके एवं स्थगन आदेश की कॉपी व्हाट्सएप्प पर भेजकर आग्रह किया गया कि पुलिस को मौखिक आदेश देकर अवैध निर्माण कार्य पर रोक लगवाई जाए। लेकिन कथित तौर पर नायब तहसीलदार ने आवेदक की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और अवैध निर्माण कार्य को रुकवाने के लिए तत्परता से कार्यवाही नहीं की गई।

स्टे आर्डर तामीली में देरी, जिम्मेदार कौन ?

इस प्रकरण में यक्ष प्रश्न यह है कि एसडीएम के द्वारा दिनांक 12 अप्रैल 2022 जारी स्थगन आदेश की तामीली अनावदेकों (उत्तरार्थीगण) को दिनांक 02 मई 2022 तक क्यों नहीं हुई। स्टे आर्डर की तामीली में इतना अधिक समय क्यों लगा और इसके लिए जिम्मेदार कौन है ? अब देखना यह है कि इस मामले में लापरवाही बरतने के दोषी लोकसेवक के विरुद्ध क्या कार्रवाई होती है और इसमें कितना समय लगता है। या फिर लीपापोती कर मामले को रफा-दफा किया जाता है।

इनका कहना है-

“स्थगन आदेश की तामीली में देरी कोई जानबूझकर नहीं करता है। अगर विलंब के कारण कोई समस्या उत्पन्न हुई तो आवेदक मुझे अवगत करा सकते थे, उनकी समस्या का यथा संभव निराकरण किया जाता। लेकिन मुझे इसकी जानकारी नहीं दी गई। लगता है आप मुझसे ज्यादा पढ़े-लिखे हैं, मैं आपको बार-बार समझा रहा हूँ लेकिन आप सुन ही नहीं रहे हैं।”

– सत्यनारायण दर्रो, एसडीएम, अजयगढ़ जिला पन्ना।

“आवेदकों के द्वारा कॉल करके जानकारी देने एवं स्थगन आदेश की कॉपी सेण्ड करने के बाद तुरंत आरआई व पटवारी को मौके पर भेजकर निर्माण कार्य बंद करवाया गया था जोकि वर्तमान में पूर्णतः बंद है। इसके अलावा मेरे द्वारा थाना प्रभारी धरमपुर को भी इस संबंध में पत्र प्रेषित किया गया। प्रकरण में अंतिम आदेश होने तक कार्य पूर्णतः बंद रहेगा। स्थगन आदेश की तामीली में देरी किस कारण से हुई इस पर गौर किया जाएगा।”

– सुरेन्द्र कुमार अहिरवार, नायब तहसीलदार अजयगढ़।