सफेद हीरों का काला कारोबार क्या बंद हो पायेगा!

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कैबिनेट ने हीरा नीलामी संबंधी नियमों में किया बदलाव

अब 6 माह के स्थान पर हर महीने होगी हीरे की नीलामी

पन्ना। रडार न्यूज  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की अध्यक्षता में दिनांक 29 मई 2018 को हुई मंत्रि परिषद की बैठक में पन्ना जिले में होने वाली हीरे के नीलामी की अवधि 6 माह के स्थान पर प्रतिमाह करने का निर्णय लिया गया है। पन्ना की विधायक एवं पीएचई मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेले की पहल पर हुए इस निर्णय से हीरा जमाकर्ताओं की वर्षों से लंबित मांग पूरी हो जायेगी।

तत्काल दी जाएगी एक लाख या 50 प्रतिशत राशि-

अब भविष्य में उथली खदानों से प्राप्त हीरा जमा करने के बाद जमाकर्ता को हीरा के अनुमानित मूल्य की 50 प्रतिशत राशि या एक लाख रूपये जो भी कम हो, तत्काल दे दी जायेगी। राज्य शासन द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार इस संशोधन के प्रभावशील होने से हीरा जमाकर्ताओं को हीरा जमा करने की तिथि से 7 दिन के भीतर राशि का भुगतान हो जायेगा। साथ ही जमा किए गए हीरे की नीलामी अब 6 माह की अवधि के स्थान पर 1 माह के भीतर हो सकेगी। उल्लेखनीय है कि इसके पहले हीरा जमाकर्ताओं को हीरे की अनुमानित मूल्य का 30 प्रतिशत या मात्र 10 हजार रूपये ही देने का प्रावधान रहा है। शासन के इस निर्णय से पन्ना जिले के उथली हीरा खदान लगाने वालों को सीधा लाभ मिलने की बात कही जा रही है। अभी भी बड़ा सवाल यही है कि शासन के इस निर्णय से क्या सफेद हीरों का काला कारोबार बंद हो जायेगा। हीरों की तस्करी को रोकने में उक्त बदलाव कितने मददगार साबित हो पायेगें, यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

ब्लैक मार्केट में बिकते है अधिकांश हीरे-

सर्वविदित है कि व्यवहारिक परेशानियों और नीतिगत कठिनाईयों के कारण पन्ना में सफेद हीरों का काला कारोबार लम्बे समय से फल-फूल रहा है। यहां की वैध-अवैध उथली हीरा खदानों से निकलने वाले 95 फीसदी हीरों की तस्करी होती है। बम्बई, सूरत के व्यापारी, उनके एजेण्ट अथवा स्थानीय हीरा व्यापारी उन्हें सीधे ही अवैध तरीके से चोरी-छुपे खरीद लेते है। इस तरह हीरा बेंचने वाले व्यक्ति को राशि तो तुरंत मिल जाती है पर उसके साथ धोखाधड़ी होने या फिर उचित मूल्य न मिलने का जोखिम बना रहता है। इसके बाद भी ज्यादातर हीरे ब्लैक मार्केट में ही बिकते है। बिडम्बना यह है कि शासन की हीरा नीति व्यवहारिक न होने के कारण पन्ना जिला मुख्यालय में स्थिति देश के एक मात्र हीरा कार्यालय में इतने हीरे भी नहीं होते कि जिनकी नीलामी से उसका स्थापना व्यय निकल सके।

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