केन नदी बहे घायल टाइगर का मिला शव, पन्ना टाइगर रिजर्व में डेढ़ माह के अंदर 3 टाइगर की मौत

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सांकेतिक फोटो।

* आपसी संघर्ष में घायल होकर नदी में गिरा था टाइगर पी-123

* बाघिन के चक्कर में टाइगर पी-123 और टी- 431 के बीच हुई थी भिड़ंत

* तीन दिन से बाघ की तलाश करने सघन सर्चिंग अभियान में जुटा था पार्क का अमला

* बाघों की वंशवृद्धि के चलते क्षेत्र, शिकार और बाघिनों को लेकर तेज हुई वर्चस्व की जंग

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) बाघों की संदेहास्पद परिस्थितियों में लगातार हो रहीं मौतों को लेकर सुर्ख़ियों में बने मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से एक और दुखद खबर आई है। पार्क क्षेत्र से गुजरने वाली केन नदी में रविवार 9 अगस्त की शाम नर बाघ पी-123 का शव पानी की सतह पर मिला। टाइगर टी- 431 के साथ हुए संघर्ष में व्यस्क टाइगर पी-123 घायल होकर केन नदी में गिर गया था। पिछले तीन दिनों से सरगर्मी से पार्क के अंदर नदी में टाइगर की तलाश की जा रही थी। आज नाव से सर्चिंग के दौरान रेस्क्यू टीम को घायल बाघ का शव पानी में तैरता हुआ मिला। मृत बाघ के शव को नदी से बाहर निकलवाकर सुरक्षित रखवाया गया है। सोमवार की सुबह शव का पोस्टमार्टम होने के बाद दाह संस्कार किया जाएगा। पिछले डेढ़ माह के अंदर पन्ना में बाघ की मौत की यह तीसरी घटना है। जबकि महज़ नौ माह के अंदर पन्ना में बाघों की मौत की यह पांचवीं घटना है। नदी में पानी अधिक होने और घायल होने के कारण बाघ के पानी में डूबने से तमाम प्रयासों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। इसके पूर्व 27 जुलाई को गहरीघाट वन परिक्षेत्र की मझौली बीट के वन कक्ष क्रमांक- पी-511 में एक नर बाघ का क्षत-विक्षत हालत में सड़ा-गला शव मिला था।
सांकेतिक फोटो।
सोमवार की देर रात 12:40 बजे घटनास्थल से वापस मुख्यालय लौट रहे पन्ना टाइगर रिजर्व के उप संचालक जरांडे ईश्वर रामहरि के रास्ते में होने की वजह से मोबाइल फोन नेटवर्क प्रॉब्लम के चलते उनसे बमुश्किल बात हो सकी। इस दौरान उन्होंने टाइगर पी-123 का शव मिलने की पुष्टि की है। आपने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व की गहरीघाट रेन्ज अंतर्गत सुरक्षा श्रमिक के कैम्प के नजदीक दो दिन पूर्व बाघिन टी-6 की मौजूदगी रही है। वहीं विचरण कर रहे टाइगर पी-123 और टाइगर टी- 431 बाघिन को रिझाने के चक्कर में आपस में भिड़ गए। आसपास मौजूद मैदानी कर्मचारियों के द्वारा बाघों के बीच हुए भीषण संघर्ष को प्रत्यक्ष तौर पर देखा गया। इस लड़ाई में व्यस्क नर बाघ पी-123 जख्मी होकर भागने के दौरान केन नदी में गिर गया।
फाइल फोटो।
फील्ड स्टॉफ से मिली इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए बिना किसी देरी के घायल बाघ की तलाश करने नदी और आसपास के इलाके में सर्चिंग अभियान शुरू कराया गया। दूसरे वन्यजीवों की तरह बाघ तैरना जानते हैं लेकिन नदी में पानी अधिक होने और गंभीर रूप से घायल होने के कारण टाइगर पी-123 पानी में डूब गया। सघन सर्चिंग के दौरान रेस्क्यू टीम को रविवार की शाम तीसरे दिन गंगऊ बाँध के ऊपरी हिस्से में उक्त बाघ का शव पानी में उतराता हुआ मिला। उप संचालक जरांडे ईश्वर रामहरि रविवार सुबह से ही सर्चिंग अभियान की निगरानी के सिलसिले में जंगल के लिए रवाना हो गए थे। इसलिए शाम के समय जब बाघ का शव मिलने भनक लगी तो देर रात्रि तक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी। कुछ पत्रकारों ने पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया से भी सम्पर्क करने का प्रयास किया लेकिन कई बार रिंग बजने के बाद भी उनका मोबाईल फोन रिसीव नहीं हुआ।
फाइल फोटो।
बाघों की मौत की लगातार सामने आ रही मौत की घटनाओं को लेकर चौतरफा सवाल उठने से पार्क प्रबंधन काफी चिंता, तनाव और दवाब से गुजर रहा है। लेकिन वर्तमान में जो परिस्थितयों बनीं हैं उनके आगे प्रबंधन भी बेवश और लाचार नजर आ रहा है। दरअसल, पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की तेजी से जारी वंशवृद्धि के कारण बाघों के बीच वर्चस्व की जंग छिड़ी है। कोर क्षेत्र के जंगल में कब्ज़ा करने, शिकार और बाघिनों को लेकर टाइगर आपस में लड़ रहे हैं। उपसंचालक श्री रामहरि का कहना है कि कई बार यह जंग काफी भीषण हो जाती है, जिसमें कमजोर पड़ने वाले बाघ को अपनी जान गंवानी पड़ती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बाघ स्वाभावगत प्रतिद्वंदियों को जरा भी बर्दाश्त नहीं करते। उन्होंने बताया कि सिर्फ पिछले एक साल में ही पन्ना टाइगर रिजर्व में 20 से अधिक बाघ शावकों ने जन्म लिया है। जिस तेजी से बाघों की तादाद बढ़ रही उसके मद्देनजर इनके बीच संघर्ष और अधिक तेज होने की आशंका जताई जा रही है।
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में पन्ना टाइगर रिजर्व में व्यस्क-अर्धवयस्क बाघों की संख्या 60 से अधिक है। दिनांक 27 जुलाई को गहरीघाट परिक्षेत्र में ही नर बाघ का शव मिलने पर पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि फेस-4 की मॉनिटरिंग के दौरान पार्क के कोर क्षेत्र में 39 व्यस्क-अर्धवयस्क बाघ पाए गए हैं। जिसका घनत्व 6. 05 से 6.09 प्रति 100 वर्ग किलोमीटर है। जबकि क्षेत्रफल के हिसाब से टाइगर रिजर्व की धारण क्षमता 30 बाघ की है। अर्थात कोर क्षेत्र में क्षमता से अधिक बाघों का रहवास होने से उनके बीच इलाके पर वर्चस्व लेकर आपसी संघर्ष बढ़ना स्वाभाविक है।

बाघों के सड़े-गले कंकाल मिलने उठते रहे सवाल

पन्ना टाइगर रिजर्व की गहरी घाट रेन्ज अंतर्गत कुछ दिन पूर्व संदिग्ध परिस्थितियों में मृत बाघ का शव मौत के कई दिन बाद इस स्थिति में मिला।
सर्वविदित है कि बाघों की मौत की लगातार सामने आ रहीं चिंताजनक घटनाओं के बीच पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन की पिछले कुछ समय से तीखी आलोचना हो रही है और कई गंभीर सवाल भी उठ रहे हैं। बाघ पी-213 की मौत को अलग रखकर देखें तो इसके पूर्व में 27 जुलाई को गहरीघाट वन परिक्षेत्र की मझौली बीट के वन कक्ष क्रमांक- पी-511 में एक नर बाघ का क्षत-विक्षत हालत में सड़ा-गला शव मिला था। बाघ का शव कंकाल की स्थिति में मिलने से उसकी मृत्यु कई दिन पूर्व होने का अनुमान लगाया गया। इस घटना के करीब एक माह पूर्व 28 जून को रेडियो कॉलर वाली बाघिन पी-213 की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने का मामला प्रकाश में आया था। रेडियो कॉलर वाली ब्रीडिंग टाइगर का भी सड़-गल चुका अवशेष मिलने से बाघों की सुरक्षा और मॉनिटरिंग सिस्टम के क्रियान्वयन को लेकर गंभीर सवाल उठे।
पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे ज्यादा चहेती रेडियो कॉलर वाली बाघिन पी- 213 का शव इस स्थिति में बरामद हुआ
बाघों की मौत आपसी संघर्ष में होने की पार्क प्रबंधन की आशंका को अगर सही मान भी लिया जाए तब भी यह सवाल उठता है कि बाघों की मॉनीटरिंग व निगरानी में तैनात मैदानी अमले को बाघ की मौत की खबर समय पर क्यों नहीं लगती ? उन्हें कई दिन बाद सड़े-गले कंकाल मिलते हैं, जिससे बाघों की मौत की वास्तविक वजह और कारणों का पता नहीं चल पा रहा है। इसी तरह आपसी संघर्ष की पिछली चार घटनाओं में घायल होने वाले दूसरे बाघ का भी कोई पता नहीं चला। जिससे पूर्व में हुई बाघों की मौत को लेकर लोगों के मन में संदेह और बाघों की सुरक्षा एवं निगरानी व्यवस्था को लेकर कई सवाल अब भी बरक़रार हैं। कुछ लोग तो अब खुलकर यह आशंका जताने लगे हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व में अगर बाघों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का सिलसिला नहीं थमा तो पुनः पन्ना एक बार फिर बाघ विहीन हो सकता है।