फॉलोअप : कोरोना संक्रमितों एवं संदिग्ध मरीजों की असमय मौत के बीच बड़ी लापरवाही उजागर !

0
1096
जिला चिकित्सालय पन्ना के कोविड केयर सेंटर का प्रवेश द्वार।

बंद पड़े वेंटिलेटर्स को चालू कराने का आदेश जारी कर सालभर तक भूले रहे सिविल सर्जन

पन्ना के कोविड केयर सेंटर का मामला, ख़बर प्रकाशित होने के बाद टूटी जिम्मेदारों की नींद

जिला चिकित्सालय पन्ना के सिविल सर्जन ने दो डॉक्टरों को जारी किए नोटिस

निश्चेतना विशेषज्ञ डॉक्टरों को वेंटिलेटर संचालन का प्रशिक्षण लेने दिया था आदेश

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) कोरोना की बेहद खतरनाक दूसरी लहर के जबरदस्त कहर से हर तरफ गूँजतीं मातमी चीखों, हालात के आगे बेबस और लाचार हो चुके आम इंसान की दर्द भरी सिसकियों के बीच मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज को लेकर जिम्मेदारों की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। मामला जिला चिकित्सालय के कोविड केयर सेंटर में रखे आधा दर्जन वेंटिलेटर  सालभर से अधिक समय से बंद होने का है। रडार न्यूज़ ने रविवार 2 मई को इस संबंध में “कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज की नहीं समुचित व्यवस्था” नामक शीर्षक से एक खबर प्रकाशित करते हुए कोरोना संकटकाल में पन्ना के कोविड केयर सेंटर समेत अन्य वार्डों में रखे वेंटिलेटर्स के सालभर से बंद पड़े होने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। इसमें बताया था कि, योग्य-अनुभवी ऑपरेटर के आभाव में जीवनरक्षक उपकरण बेकार (अनुपयोगी) पड़े हैं।
रडार न्यूज़ के द्वारा दिनांक 02 मई 2021 वेंटिलेटर बंद होने के संबंध में प्रकाशित खबर का स्क्रीनशॉट।
प्रकाशित खबर में इस सवाल को प्रमुखता से उठाया गया था कि दिन-प्रतिदिन भयावह होते कोरोना संकट में लोगों की जान बचाने के लिए वेंटिलेटर संचालन को लेकर उदासीनता का यह आलम ऐसे समय है जब आए दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं कोरोना संक्रमण की स्थिति एवं स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा कर रहे हैं साथ ही जिले के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ प्रतिदिन कोविड केयर सेंटर पहुंचकर वहाँ भर्ती मरीजों के इलाज तथा व्यवस्थाओं आदि का जायजा ले रहे हैं। बाबजूद इसके कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज से जुड़ीं व्यवस्थाओं को लेकर हर स्तर पर घोर लापरवाही बरती जा रही है।
इस तथ्य परक खबर के प्रकाशित होने से मचे हड़कंप के चलते जिला चिकित्सालय पन्ना के सिविल सर्जन की नींद टूटी है। अब जाकर उन्हें बंद पड़े वेंटिलेटर्स को चालू करने की याद आई है। सिविल सर्जन डॉ. व्ही. एस. ने उपाध्याय ने इस मामले में जिला चिकित्सालय पन्ना के दो चिकित्सकों डॉ. स्मृति गुप्ता, प्रभारी निश्चेतना विशेषज्ञ एवं डॉ. नीरज जैन, निश्चेतना चिकित्सक को आनन-फानन में मंगलवार 4 मई 2021 को नोटिस जारी करते हुए संबंधितों से 24 घण्टे के अंदर लिखित रूप से अपना जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।

क्या लिखा है नोटिस में ?

वेंटिलेटर बंद होने की खबर प्रकाशित होने पर सिविल सर्जन पन्ना के द्वारा डॉक्टरों को जारी किए गए नोटिस की कॉपी।
सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक पन्ना के द्वारा डॉ. स्मृति गुप्ता एवं डॉ. नीरज जैन को जारी नोटिस में उल्लेख किया गया है कि- “आप लोगों को कोविड-19 (नोवल कोरोना वायरस) बीमारी के परिपेक्ष्य में वेंटिलेटर के उपयोग के संबंध में प्रशिक्षण हेतु नामांकित/आदेशित किया गया था। आप लोगों के द्वारा उक्त प्रशिक्षण प्राप्त किया गया कि नहीं यदि किया गया तो प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें यदि नहीं किया गया तो क्यों नहीं किया गया। उक्त जानकारी लिखित रूप से अधोहस्ताक्षरी के समक्ष 24 घण्टे के अंदर प्रस्तुत करें।”
गौर करने वाली बात यह है कि, इस नोटिस में जिस संदर्भित पत्र का हवाला दिया गया है उसे दिनांक 14 मार्च 2020 को जारी किया गया था। इस पत्र के माध्यम से ही उक्त चिकित्सकों को प्रशिक्षण हेतु नामांकित/आदेशित किया गया था। इससे साफ़ जाहिर है कि प्रशिक्षण प्राप्त करने का आदेश जारी करने के बाद उस पर हुए अमल की जानकारी लेना सिविल सर्जन ने साल भर तक उचित नहीं समझा। विगत दिनों बंद पड़े वेंटिलेटर की खबर प्रकाशित होने पर साहब के द्वारा अपनी उदासीनता/बेपरवाही को छिपाने आनन-फानन में संबंधित चिकित्सकों को नोटिस जारी कर दिए गए।
वेंटिलेटर संचालन हेतु निश्चेतना विशेषज्ञ डॉक्टरों को प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए सालभर पूर्व दिनांक 14 मार्च 2020 को जारी आदेश की कॉपी।
इस मामले से पता चलता है, कोरोना की मौजूदा भयवाह आपदा के समय इस खतरनाक बीमारी से संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कितने संवेदनशील हैं। सबसे ज्याद हैरानी तब होती है जब क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आए दिन कोरोना संक्रमण की स्थिति एवं स्वास्थ्य सेवाओं आदि की समीक्षा कर और पन्ना जिले के प्रशासनिक अधिकारी कोविड सेंटर का प्रतिदिन जायजा लेकर कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार हेतु सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का दावा करते हैं।
कोरोना काल में वेंटिलेटर जैसी अहम सुविधा का लाभ मरीजों को मिलने के संबंध इनके द्वारा समीक्षा बैठकों व निरीक्षण के दौरान जानकारी प्राप्त की गई या नहीं, इस सवाल का जवाब मिलना इसलिए जरुरी हो जाता है क्योंकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार कोविड संक्रमण जिले के लगभग दो दर्जन लोगों की अब तक जान ले चुका है। इसके आलावा पिछले एक से डेढ़ माह में पन्ना जिला चिकित्सालय के दूसरे वार्डों में भर्ती मरीजों की मौत के मामले असमान्य और चिंताजनक रूप बढ़े हैं। इन मौतों पर जवाबदेही के आभाव में आपदा के समय भी पूर्व की तरह हद दर्जे की लापरवाही तथा अंधेरगर्दी का माहौल है।

डॉक्टरों को प्रशिक्षण की क्या वाकई जरुरत है

निश्चेतना विशेषज्ञ (एनेस्थेटिस्ट) डॉक्टर को क्या वाकई वेंटिलेटर संचालित करने के लिए पृथक से प्रशिक्षण लेने की आश्यकता है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए रडार न्यूज़ ने जब एक सेवानिवृत्त चिकित्सक से बात की तो उन्होंने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर जानकारी देते हुए बताया कि एमडी एनस्थिसिया का मतलब यही होता है कि संबंधित व्यक्ति अपने 3 साल के ट्रेनिंग पीरियड में वेंटिलेटर संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका है। पूर्व से दक्ष चिकित्सक को वेंटिलेटर संचालन के लिए अलग से पुनः प्रशिक्षण पर भजने का कोई औचित्य नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि जिला चिकित्सालय पन्ना के सिविल सर्जन को क्या यह बुनियादी जानकारी भी नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारियों को इस पर विशेष गौर करने की जरुरत है। क

कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए जरुरी है वेंटिलेटर

सांकेतिक फोटो।
वेंटिलेटर है क्या है और कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के लिए यह कितना और क्यों जरूरी है ? इन सवालों का जबाव देते हुए एक सेवानिवृत्त चिकित्सक ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर जानकारी देते हुए सरल भाषा में बताया कि वेंटिलेटर एक मशीन है जो ऐसे मरीजों की जिंदगी बचाती है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ है या फिर वे खुद सांस नहीं ले पा रहे हैं। यदि बीमारी की वजह से फेफड़े अपना काम नहीं कर पाते हैं तो वेंटिलेटर सांस लेने की प्रक्रिया को संभालते हैं। इस बीच डॉक्टर इलाज के जरिए फेफड़ों को दोबारा काम करने लायक बनाते हैं।
डॉक्टर के मुताबिक, कोविड-19 से संक्रमित अधिकांश मरीज अस्पताल गए बिना घर पर होम आइसोलेट रहते हुए आवश्यक दवाईयां लेकर ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मरीजों की स्थिति गंभीर हो जाती है और उन्हें सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। जिससे सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। इसलिए वेंटिलेटर्स की आवश्यकता होती है। इसके जरिए मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को समान्य बनाया जाता है।

पूर्व में प्रकाशित खबर को पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें –

कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज की पन्ना जिले में नहीं समुचित व्यवस्थाएं !