कैसे करें यक़ीन कि, पन्ना में सुरक्षित हैं बाघ…? टाइगर रिज़र्व में बाघिन ने चीतल का किल किया, शिकारी उसके मांस का टुकड़ा काट ले गए

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पन्ना टाइगर रिजर्व का हिनौता स्थित प्रवेश द्वार। (फाइल फोटो)

पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने एक बार फिर घटना को छिपाया

पार्क में पिछले 9 माह के अंदर 5 बाघों की हो चुकी है संदेहास्पद मौत

पिछले माह बाघ पी-123 का सिर और दूसरे अंग काट ले गए थे तस्कर

बाघ के अंग गायब होने के मामले की STSF की टीम कर रही है जांच

जिले में लम्बे समय से सक्रिय रहे वन्यजीव तस्कर गिरोह का खुलासा कर STSF ने जब्त की थीं तेंदुए और चीतल की खाल

शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व बाघों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की घटनाओं और उनके अंगों को यहां सक्रिय शिकारी-तस्कर गिरोह के द्वारा काट कर ले जाने की वजह से सुर्ख़ियों में बना है। बाघों की सुरक्षा-निगरानी व्यवस्था की अत्यंत ही चिंताजनक स्थिति के उजागर होने और बाघ पी-123 के सिर तथा दूसरे अंगों के गायब होने की सच्चाई को छिपाने के बेहद संगीन आरोपों के चलते पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन सवालों के घेरे में है। युवा बाघ के अंगों के गायब होने के मामले की जांच कर रही स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स भोपाल की टीम ने हाल ही में पन्ना एवं पड़ोसी जिला छतरपुर में सक्रिय वन्य जीवों के अंगों की तस्करी करने वाले संगठित गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए सरगना समेत चार अपराधियों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से एसटीएसएफ की टीम ने तेंदुए और चीतल की चार खालें जब्त की हैं।
चीतल का शिकार करने के बाद बाघिन के द्वारा खाया गया उसका पिछला हिस्सा।
चौंकाने वाले इन खुलासों से मचे हड़कम्प के चलते पिछले सप्ताह प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी आलोक कुमार पन्ना के दौरे पर आए थे। इस दौरान उनके द्वारा एटीएसएफ से अलग बाघ पी-123 के अंग गायब होने एवं इस घटनाक्रम के तथ्यों को छिपाने के मामले की विस्तृत जांच की गई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी आलोक कुमार ने यहां पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में यह दावा किया था कि, हालिया चिंताजनक घटनाओं के बाबजूद पन्ना में बाघों का संसार पूरी तरह सुरक्षित है और इनका भविष्य उज्जवल है। उन्होंने तमाम आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा था, पन्ना अब कभी पुनः बाघ विहीन नहीं होगा। लेकिन पन्ना के जमीनी हालात इन दावों से मेल नहीं खाते। पन्ना टाइगर रिजर्व का अमला जब कथित तौर पर हाई अलर्ट पर तब भी वहाँ शिकारी सक्रिय हैं। पार्क की अमानगंज बफर रेंज अंतर्गत मझौली बीट में सामने आई एक घटना इस बात का प्रमाण है।
मृत चीतल के पैर एवं गर्दन के समीप मांस को धारदार हथियार से काटने का निशान।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम मझौली में जंगल के नजदीक स्थित एक खेत में बाघिन पी-213/32 ने शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात एक चीतल का शिकार किया। बाघिन ने चीतल के पिछले हिस्से का कुछ मांस खा लिया और रविवार की सुबह वह किल (शिकार) को खेत की झाड़ियों के समीप छोड़कर जंगल में चली गई। इस बीच अज्ञात शिकारी मृत चीतल के शरीर के अगले हिस्से का मांस धारदार हथियार से काट ले गए। टाइगर ट्रेकिंग टीम जब कुछ समय बाद इस इलाके से गुजरी तो किल के आसपास बाघिन की मौजूदगी और चीतल के शव के साथ छेड़छाड़ के निशान देखकर दंग रह गई। इसकी सूचना तुरंत अमानगंज बफर वन परिक्षेत्र के रेन्जर सुनील सुरिया को दी गई। रेंजर ने मौके पर पहुंचकर चीतल के शव का मुआयना करने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों को घटना की जानकारी दी। पन्ना से सहायक संचालक आर.के. गुरुदेव मझौली पहुंचें और मामले की गंभीरता को देखते हुए डॉग स्क्वॉड से खेत मालिक के घर सहित गांव की सघन सर्चिंग कराई गई। लेकिन अज्ञात दुस्साहसी शिकारियों का कोई सुराग नहीं लग सका।
जिस खेत में चीतल का शव मिला उस किसान के घर की सर्चिंग करते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व के कर्मचारी।
सोमवार 28 सितंबर को मृत चीतल का वन्यप्राणी चिकित्सक से पोस्टमार्टम कराने के बाद उसके शव का जला दिया गया। मझौली गांव में चीतल का शव जिस खेत से बरामद हुआ उसके मालिक को संदेह के आधार पर हिरासत में लेकर पूंछतांछ की जा रही है। उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाली इस सनसनीखेज घटना को लेकर प्रबंधन ने चुप्पी साध रखी है। रविवार को घटना का पता चलने के बाद भी मीडिया के लिए इसका प्रेस नोट और फोटो-वीडियो जारी नहीं किए गए। सोमवार को समाचार लिखे जाने तक पार्क प्रबंधन ने चीतल के शव के साथ शिकारियों के द्वारा की गई छेड़छाड़ की घटना को सार्वजानिक नहीं किया था।
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया।
उधर, पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया से जब इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए मोबाइल पर सम्पर्क करने का प्रयास किया तो कई बार रिंग बजने के बाद भी उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। मोबाइल पर भेजे गए मैसेज का भी क्षेत्र संचालक ने कोई जवाब नहीं दिया। पार्क के अन्य अधिकारी भी इस घटना के संबंध में बात करने से बच रहे हैं।
अज्ञात शिकारी का सुराग लगाने के लिए डॉग स्क्वॉड से गांव की सर्चिंग कराई गई।
बताते चलें कि पन्ना टाइगर रिजर्व समेत जिले के उत्तर एवं दक्षिण वन मण्डल अंतर्गत वन्यजीवों की संदिग्ध मौत और शिकार की घटानएं तेजी से बढ़ने के मद्देनजर मीडिया में तीखे सवाल उठने के बाद से इन घटनाओं को छिपाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। दक्षिण वन मण्डल पन्ना की सलेहा रेन्ज अंतर्गत चार दिन पूर्व एक किसान के द्वारा जंगली सूअर के शिकार के लिए खेत में लगाए गए फंदे में फंसी मादा तेंदुआ की दर्दनाक मौत होने का मामला प्रकाश में आया था। शिकार की इस घटना का 24 घण्टे के अंदर खुलासा भी हो गया लेकिन वन मण्डल स्तर पर आधिकारिक तौर पर शिकार की घटना और इसके खुलासे का ब्यौरा प्रेस के लिए जारी नहीं किया गया। इसी तरह उत्तर वन मण्डल की विश्रामगंज रेन्ज अंतर्गत रक्सेहा के समीप तीन दिन पूर्व मादा तेंदुआ के संदिग्ध परिस्थितियों में मृत मिलने की घटना की भी प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं हुई। यह अलग बात है कि दक्षिण वन मण्डल की घटना के संबंध जानकारी प्राप्त करने के लिए जिसने भी डीएफओ या उनके अधीनस्थ अधिकारियों से सम्पर्क किया उन्हें आवश्यक जानकारी मुहैया कराई गई।