महत्वपूर्ण फ़ैसला : कोर्ट में झूठी गवाही देना शिक्षकों को बहुत महंगा पड़ा 

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फाइल फोटो।

*   मारपीट करने वाले आरोपी से राजीनामा हो जाने पर दिए थे झूठे बयान

*   स्पेशल जज ने शिक्षकों के कृत्य को संज्ञान लेकर कार्यवाही के दिए आदेश

*   मारपीट करने वाले आरोपी को कोर्ट ने सुनाई सजा और जुर्माना भी लगाया

पन्ना। (www.radarnews.in) शिक्षक को जाति सूचक गालियां देकर मारपीट करने के मामले में विशेष न्यायालय पन्ना ने फैसला सुनाते हुये आरोपी नारायण पटेल को दोषी मानते हुए 3 वर्ष का कठोर कारावास एवं 3 हजार रूपये के अर्थदण्‍ड से दंडित किया है। इस प्रकरण में आरोपी से राजीनामा हो जाने पर उसे सजा से बचाने के लिए फरियादी शिक्षक जगदीश प्रसाद अहिरवार और घटना के प्रत्‍यक्षदर्शी साक्षी रामप्रसाद बेड़िया व रामलखन प्रजापति को कोर्ट में झूठी गवाही देना बहुत महंगा पड़ा गया। विशेष न्‍यायाधीश (एट्रोसिटीज) पन्‍ना, श्री आर.पी.सोनकर ने शासकीय सेवकों के इस कृत्य को संज्ञान लेते हुए जांच उपरांत फरियादी एवं साक्षियों के विरूद्ध अभियोग चलाने का आदेश दिया है। विशेष न्‍यायाधीश द्वारा पारित यह महत्वपूर्ण फैसला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी कपिल व्‍यास ने अभियोजन के मामले की जानकारी देते हुए बताया कि, जगदीश प्रसाद अहिरवार, प्रभारी प्रधान अध्‍यापक, शासकीय माध्‍यमिक शाला बम्‍हौरी ने पुलिस थाना अमानगंज में नारायण पटेल के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें जगदीश ने बताया था, दिनांक 25 अगस्त 2016 को 21:40 बजे वह स्कूल में शासकीय कार्य कर रहा था तभी नारायण पटेल पिता नत्‍थू पटेल आया और जातिगत गाली देते हुये बोला कि, मेरे बच्‍चे का चैक क्यों नहीं काट देता है। तब मैंने बताया कि उसके बच्‍चे का दाखिला उनके स्‍कूल में नहीं है। इतना सुनते ही नारायण पटेल ने जगदीश की कॉलर पकड़कर पीठ व पेट में हाथ-घूसों से मारपीट की गई। और अश्‍लील गाली देते हुये बोला कि मेरे बच्‍चे का चैक काट देना नहीं तो जान से खत्‍म कर दूंगा।
घटना की रिपोर्ट के आधार पर थाना अमानगंज में अपराध क्रमांक 229/16 पर धारा 294, 353, 332, 506 आईपीसी एवं धारा 3(2-9) का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। प्रकरण की विवेचना उपरांत धारा 3(2-10) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्‍याचार निवारण) अधिनियम, 1989 का इजाफा कर अभियोग पत्र (चालान) न्‍यायालय के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया।
प्रकरण की सुनवाई विशेष न्‍यायालय में पन्ना में हुई। जिसमें शासन की ओर से प्रकरण की पैरवी विशेष लोक अभियोजक जितेन्‍द्र सिंह बैस द्वारा की गई। विशेष लोक अभियोजक ने न्‍यायालय के समक्ष विभिन्न साक्ष्यों और दलीलों के आधार पर आरोपी के विरूद्ध अपराध संदेह से परे प्रमाणित किया गया। न्‍यायालय ने अभिलेख पर आए साक्ष्‍यों, अभियोजन के तर्को तथा न्‍यायिक-दृष्‍टांतो से सहमत होते हुए अभियुक्‍त नारायण पटेल पुत्र नत्‍थू पसाद पटेल 45 वर्ष निवासी बम्‍हौरी,थाना अमानगंज, जिला पन्‍ना, मध्य प्रदेश को धारा 3(1)(ध) एवं 3(2)(5क) एससीएसटी एक्‍ट में क्रमश: 1 वर्ष व 3 वर्ष का कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 3 हजार रूपये के अर्थदण्‍ड से भी दंडित किया गया है।
सांकेतिक चित्र।
उल्लेखनीय है कि, इस प्रकरण में अभियुक्त नारायण पटेल से राजीनामा हो जाने के कारण फरियादी जगदीश प्रसाद अहिरवार, प्रत्‍यक्षदर्शी साक्षी रामप्रसाद बेड़िया व रामलखन प्रजापति ने शासकीय सेवक (शिक्षक) होते हुये उसे सजा से बचाने के लिए कोर्ट में झूठे बयान दर्ज कराए गए। जिसे विद्वान विशेष न्‍यायाधीश (एट्रोसिटीज) पन्‍ना, आर.पी.सोनकर ने संज्ञान लेते हुए फरियादी एवं साक्षियों के विरूद्ध जांच कराकर धारा 340/344 दंप्रसं एवं धारा 193 आईपीसी के अन्‍तर्गत परिवाद पत्र तैयार कर दंडात्‍मक कार्यवाही करने हेतु मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट की ओर प्र‍ेषित किये जाने का आदेश अपने फैसले में दिया है। विशेष न्‍यायाधीश के इस महत्वपूर्ण फैसले को न्‍यायालय में झूठी गवाही देने या फिर उससे मुकरने वालों को कड़ा संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है।