प्रशासन की मिलीभगत से ठेकेदार ने रेत के लिए मचाई तबाही ! जनप्रतिनिधि-विपक्ष और मीडिया बना मूकदर्शक ?

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रामनई की शासकीय गोचर भूमि पर जारी अवैध रेत खनन के खेल की जमीनी सच्चाई को बयां करती तस्वीर।

* रामनई में केन नदी की जगह शासकीय गोचर भूमि को खोखला कर निकाली जा रही रेत

* रेत ठेकेदार की विनाशलीला से प्राकृतिक झरनों और गोचर भूमि का वजूद खतरे में

* अपने अस्तित्व को बचाने अकेले ही संघर्ष कर रहे केन नदी किनारे स्थित गांवों के लोग

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) बहुमूल्य खनिज संसाधनों की बेतहाशा लूट के चलते बुन्देलखण्ड का बेल्लारी कहे जाने वाले पन्ना जिले में इन दिनों रेत की खुलेआम जारी डकैती ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। पन्ना की जीवनदायिनी केन नदी एवं इसके कछार से रेत खनन करने के लिए पर्यावरण और खनन सम्बंधी नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाने के बेहद गम्भीर आरोप रेत ठेकेदार पर लग रहे हैं। केन किनारे बसे गांवों के रहवासियों को मानना है कि जिला प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत से नदी के अस्तित्व को मिटाने का यह खेल बड़े पैमाने पर बेरोकटोक चल रहा है। पिछले एक पखवाड़े से भी अधिक समय से दर्जनों दैत्याकार मशीनों ने रेत खनन के लिए अजयगढ़ के केन पट्टी क्षेत्र में तबाही-बर्बादी मचा रखी है जिससे इलाके के लोगों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है।
रामनई में शासकीय रेत खदान नदी किनारे जिस स्थान पर स्वीकृत है वहाँ रेत न होने से ठेके की आड़ में गोचर भूमि पर संचालित रेत खदान।
रेत की डकैती से बिगड़ते हालात की जानकारी के बाद भी पन्ना जिला प्रशासन-पुलिस-खनिज-राजस्व विभाग के अधिकारी और जनप्रतिनिधि-विपक्ष और मीडिया बना मूकदर्शक की भूमिका में है। इस विचित्र और दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति के बीच रेत ठेकेदार रश्मीत मल्होत्रा के कर्मचारी यह प्रचार कर रहे हैं कि राजधानी भोपाल के सत्ता प्रतिष्ठानों से लेकर पन्ना तक उनकी सेटिंग है और कथित तौर पर सब मैनेज हैं। शायद यही वजह है कि अपने प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए चिंतित व परेशान रामनई और बरौली गांव के रहवासी अकेले ही संघर्ष करने को मजबूर हैं।

रामनई में गोचर भूमि पर चल रही रेत खदान

रामनई और बरौली के ग्रामीणों के द्वारा पन्ना कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से की गई शिकायत की कॉपी। (सभी तस्वीरें ज़ैनुद्दीन निवासी बरौली से प्राप्त)
पन्ना जिले की 27 रेत खदानों के समूह के लिए उच्चतम बोली ना लगाने के बावजूद आश्चर्यजनक तरीके से रेत के ठेके के लिए होशंगाबाद जिले के रश्मीत मल्होत्रा की निविदा को पिछली कमलनाथ सरकार ने स्वीकृत किया था और शिवराज सरकार ने इससे दो कदम आगे बढ़ते हुए 6 जून 2020 को रेत खनन के लिए जल्दबाजी में अनुबंध निष्पादित कर लिया। जबकि यह मामला उच्च न्यायालय जबलपुर में विचाराधीन है। पन्ना के रेत खदान समूह के लिए उच्चतम बोली लगाने वालों ने इस मामले को न्यायालय में चुनौती दी है। रेत खनन के लिए अनुबंध निष्पादित होते ही ठेकेदार रश्मीत मल्होत्रा केन की कोख और सीना छलनी करते हुए रेत निकालने के लिए नदी में दैत्याकार मशीनें लेकर कूद पड़े हैं।
ग्रामीणों के द्वारा की गई शिकायत का दूसरा पेज।
पन्ना जिले अजयगढ़ विकासखण्ड की उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले से लगने वाली सीमा पर स्थित चर्चित ग्राम रामनई में वैसे तो रेत खदान नदी पर स्वीकृत है लेकिन ठेकेदार के द्वारा रेत क अवैध उत्खनन नदी के कछार अंतर्गत आने वाली गोचर भूमि (चरनोई भूमि) पर किया जा रहा है। रामनई में चम्बल के बीहड़नुमा संरचना वाले टीलों की हैवी मशीनों से खुदाई कराकर उनके अंदर सैंकड़ों-हजारों वर्षों से सुरक्षित रेत के विपुल भण्डार को रात-दिन लूटा जा रहा है। शासकीय भूमि को खोखला कर वहाँ से रेत सिर्फ इसलिए निकाली जा रही है क्योंकि रामनई की खदान नदी में जिस स्थान पर स्वीकृत है वहाँ रेत ही नहीं है।

इन खसरा नम्बर पर जारी है अवैध खनन

रामनई की रेत खदान की वास्तविक स्थिति की जानकारी होने के बाद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारी रेत की लूट की जानबूझकर कर रहे हैं अनदेखी।
रामनई गांव की गोचर भूमि और प्राकृतिक झरनों का अस्तित्व मिटाने पर आमदा रेत ठेकेदार के काले कारनामों का कच्चा चिठ्ठा तैयार कर ग्रामीणों ने पर्यावरण, क्षेत्र की भौगोलिक संरचना और मूक पशुओं का पेट भरने वाली भूमि को बचाने के लिए कई जगह लिखित शिकायत की है। तथ्यों पर आधारित दो पेज की इस शिकायत में उल्लेख है कि रामनई गांव में स्थित मध्य प्रदेश शासन की गोचर भूमि खसरा क्रमांक-34 रकबा 4.04 हैक्टेयर, खसरा क्रमांक-2/1,2/2 रकबा 12.80 व 9.11 हैक्टेयर, खसरा क्रमांक-60 रकबा 3.39 हैक्टेयर, खसरा क्रमांक-58 रकबा 0.99 हैक्टेयर तथा खसरा क्रमांक-57 रकबा 1.00 हैक्टेयर जोकि गांव के पालतू पशुओं के चरने के लिए आरक्षित है उसे रेत ठेकेदार ने अपना चरागाह बना लिया है। शासकीय चरनोई भमि पर रेत खदान संचालित होने बेजुवान पशुओं के लिए भोजन का संकट पैदा हो गया है। चरनोई भूमि में स्थित रेत के टीलों को जेसीबी और पोकलेन मशीनें रातदिन खनन से खोखला करने में जुटीं हैं।
चरनोई भूमि में अवैध उत्खनन कर निकाली गई रेत के परिवहन के लिए मौके पर खड़े ट्रक।
गौरतलब है कि रामनई में नदी के किनारे जिस स्थान पर रेत खदान स्वीकृत है वहाँ पर रेत उपलब्ध न होने की जानकारी अजयगढ़ में बैठे राजस्व अधिकारियों, खनिज विभाग के अफसरों और पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा को तब से है जब पूर्व में कमलनाथ सरकार के समय स्थानीय पंचायत को आवंटित खदान की आड़ में वहाँ की चरनोई भूमि एवं निजी भूमि में स्थित रेत के टीलों में अवैध उत्खनन कर हजारों घन मीटर रेत निकाली गई थी। इस रेत खनन घोटाले पर आधी-अधूरी कार्रवाई करते हुए उन किसानों पर तो भारी भरकम जुर्माना लगाए गए थे जिनके खेतों से रेत निकली थी।
प्रशासन के अघोषित संरक्षण में जारी बहुमूल्य खनिज सम्पदा की लूट की दास्तां बयां करती तस्वीर।
लेकिन इसी तरह के अपराध के लिए पंचायत के नुमाइंदों और अन्य जवाबदेह कर्मचारियों-अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई इसका पता आज तक नहीं चला। वर्तमान एक बार फिर इसकी पुनरावृत्ति करने के आरोप रेत ठेकेदार रश्मीत मल्होत्रा पर लगे हैं। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि रेत खनन में अनियमितता से जुड़े इस ताज़ा मामले में क्या कार्रवाई होती है और कब यह कब तक सुनिश्चित हो पाती है। या फिर इस प्रकरण का हश्र भी जांच के नाम पर निहित स्वार्थपूर्ति करते हुए लीपापोती कर पंचायत की कारगुजारियों पर पर्दा डालने सरीका होगा।

मनमाने रास्ते बने मुसीबत

रामनई से अवैध तरीके से निकाली जा रही रेत के परिवहन के लिए बरौली गांव से होकर बनाया गया रास्ता।
रामनई में शासकीय भूमि से अवैध तरीके से निकाली जा रही रेत का उत्तर प्रदेश के लिए परिवहन करने बरौली ग्राम से होकर वाहनों को निकाला जा रहा है। इसके लिए करीब 3 किलोमीटर लम्बाई वाले रास्ते का निर्माण मनमाने तरीके से ठेकेदार के द्वारा कराया गया है। रेत के हैवी लोडेड ट्रक-डम्फर की आवाजाही में किसी तरह की असुविधा या समस्या न हो इसके लिए बरौली की दलित बस्ती के विधुत तार काट दिए गए। इससे बस्ती में रहने वालों के घरों की विधुत आपूर्ति प्रभावित है। वाहनों में निर्धारित क्षमता से कई गुना अधिक रेत का परिवहन होने से इस इलाके की सड़कें-पुल-पुलिया और नालियां तेजी से ध्वस्त हो रहीं हैं। आने वाले दिनों में स्कूल खुलने पर बरौली में रेत के वाहनों की धमाचौकड़ी के चलते इनकी चपेट में आकर स्कूली बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका भी ग्रामीण जता रहे हैं।
टीलों को खोदकर निकाली गई रेत का ढेर।
अपनी शिकायत में बरौली और रामनई के ग्रामीणों ने बताया कि शासकीय गोचर भूमि पर जारी रेत के बेतहाशा अवैध उत्खनन को यदि तुरंत सख्ती से नहीं रोका गया तो पर्यावरण का विनाश होने के साथ इलाके के प्राकृतिक झरनों का वजूद मिट सकता है। पालतू पशुओं के लिए भूखों मरने के हालत बन सकते हैं और पेयजल के लिए हाहाकार मच सकता है।

शिकायत पर किसने क्या कहा

अजयगढ़ एसडीएम बी. बी. पाण्डेय।
सीमावर्ती रामनई गांव में केन नदी पर स्वीकृत खदान क्षेत्र से रेत न निकालकर शासकीय गोचर भूमि पर खनन कर अब तक वहां से हजारों घनमीटर रेत निकाल चुके ठेकेदार रश्मीत मल्होत्रा द्वारा खुलेआम मचाई गई लूट की तथ्यपरक और सप्रमाण शिकायत शुक्रवार 26 जून को रामनई और बरौली के ग्रामीणों द्वारा पन्ना कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों से की गई है। अजयगढ़ के एसडीएम बी.बी. पाण्डेय से शिकायत के सम्बंध में पूंछने पर उन्होंने बताया कि उनके द्वारा तहसीलदार अजयगढ़ के नेतृत्व दल को जाँच के लिए निर्देशित किया गया है। जाँच दल के द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि यह जांच कब पूरी होगी।
पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा।
वहीं इस शिकायत पर की गई कार्रवाई के सम्बंध में पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिला खनिज अधिकारी को मौके पर जाकर जांच करने और प्रकरण दर्ज करने के लिए निर्देशित किया गया है। जब उनसे यह पूंछा गया कि रामनई की गौचर एवं अन्य शासकीय भूमि में इतने बड़े पैमाने पर रेत के अवैध उत्खनन की पुनरावृत्ति क्यों हुई, इसके लिए किसकी जबावदेही बनती है, क्या उसके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी और यह कब तक सुनिश्चित हो पाएगी ? इस सवाल का उन्होंने कोई जबाव नहीं दिया। पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी से भी इस सम्बंध बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कोई जवाब देना उचित नहीं समझा। जबकि जिला खनिज अधिकारी पन्ना आर.के. पाण्डेय से सम्पर्क करने पर उन्होंने अपनी आदत के अनुसार मोबाइल फोन रिसीव नहीं किया। ग्रामीणों के आरोपों के सम्बंध में रेत ठेकेदार रश्मीत मल्होत्रा से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन खबर लिखे जाने तक उनसे संपर्क नहीं हो सका।