MP : लोकायुक्त पुलिस ने 7 लाख रुपये की रिश्वत लेते PWD के सब इंजीनियर को पकड़ा

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लोकायुक्त पुलिस सागर की अभिरक्षा में रिश्वत लेने के आरोपी उपयंत्री मनोज रिछारिया (लाल घेरे में) । फाइल फोटो।

*    पन्ना में कार्यपालन यंत्री लोनिवि के ऑफिस में ट्रैप कार्रवाई को दिया गया अंजाम

*     सड़क निर्माण कार्य का बिल भुगतान करवाने के एवज ठेकेदार से मांगी थी रिश्वत

*    प्रदेश की भाजपा सरकार के कद्दावर मंत्री का भी नाम सामने आया ! जानिए क्या है पूरा मामला ?

शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में घूसखोरी के मामले रोज सामने आ रहे हैं। घूसखोरों पर शिकंजा भी कसा जा रहा है बावजूद इसके भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेने से बाज नहीं आ रहे हैं। ताजा मामला पन्ना जिला मुख्यालय में सामने आया है। जहां लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ उपयंत्री मनोज रिछारिया को 7 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त पुलिस संगठन सागर की टीम ने रंगे हांथों गिरफ्तार किया है। ठेकेदार एवं कांग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय की शिकायत पर यह ट्रैप कार्रवाई की गई। निर्माणाधीन सड़क का मूल्यांकन एवं लंबित बिल का भुगतान करवाने के एवज में ठेकेदार से रिश्वत मांगी थी। कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण संभाग पन्ना के कार्यालय में लोकायुक्त पुलिस द्वारा ट्रैप कार्रवाई को अंजाम देने की खबर आते ही जिला मुख्यालय में स्थित विभिन्न निर्माण विभागों के तकनीकी अधिकारियों-कर्मचारियों समेत प्रशासनिक हल्कों में जबर्दस्त हड़कंप मच गया। घूस के रूप में नकद एवं चेक के द्वारा ली गई राशि के लिहाज से इसे जिले की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई बताया जा रहा है।
ठेकेदार एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय।
उल्लेखनीय है कि, लोक निर्माण उप संभाग पन्ना दिव्तीय के अंतर्गत टुन्ना-महगवां सड़क वर्तमान में निर्माणधीन है। लगभग 11 किलोमीटर की लम्बाई और 11 करोड़ की लागत वाली इस सड़क का ठेका रतन बिल्डर्स कंपनी के नाम पर है। ठेकदार भरत मिलन पाण्डेय निर्माण कंपनी के रतन बिल्डर्स के पार्टनर है। अब तक कराए गए सड़क निर्माण कार्य के एवज में लोक निर्माण विभाग की ओर से ठेका कंपनी को करीब एक करोड़ रुपए का भुगतान कुछ समय पूर्व किया था। जबकि 40 से 50 लाख के उसके बिल भुगतान को रोक दिया था। ठेकेदार एवं कांग्रेस नेता भरत मिलन ने जब इस संबंध में सड़क निर्माण के प्रभारी उपयंत्री मनोज रिछारिया से सम्पर्क किया तो उनके द्वारा रिश्वत की मांग की गई। भुगतान ना होने से परेशान होकर ठेकेदार ने गत दिनों पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त पुलिस संगठन सागर के कार्यालय में घूसखोरी की मांग किये जाने का शिकायती आवेदन पत्र दिया। शिकायत की पुष्टि होने के बाद लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में रिश्वतखोर उपयंत्री को पकड़ने की फुलप्रूफ योजना बनाई गई। ठेकदार और उपयंत्री के बीच रिश्वत की राशि बुधवार 2 नवंबर 2022 को देना तय हुआ।

1 लाख नकद और 6 लाख के चेक लिए

लोक निर्माण विभाग के उपयंत्री मनोज रिछारिया से जब्त की गई रिश्वत की नकद राशि और चेक।
पन्ना की इन्द्रपुरी कॉलोनी स्थित कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में बुधवार की शाम करीब 5:30 बजे ठेकदार भरत मिलन पाण्डेय ने पहुंचकर वहां पहले से मौजूद उपयंत्री मनोज रिछारिया को रिश्वत के रूप में नकद राशि और चेक सौंपे गए। इस दौरान आसपास मुस्तैदी से तैनात रही लोकायुक्त पुलिस की टीम ने ठेकेदार का इशारा मिलते ही कार्यपालन यंत्री कार्यालय में दबिश देकर घूसखोर उपयंत्री को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। ट्रैप कार्रवाई का नेतृत्व करने वाले लोकायुक्त पुलिस सागर के डीएसपी राजेश खेड़े ने जानकारी देते हुए बताया कि, उपयंत्री मनोज रिछारिया के कब्जे से 500-500 के नोटों की दो गड्डी नकदी 1 लाख रुपए, यूनियन बैंक के चार लाख और दो लाख रुपए के दो चेक कुल राशि 7 लाख रुपए की रिश्वत के रूप में जप्त की गई है। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर मामले को विवेचना में लिया है। लोकायुक्त पुलिस टीम के द्वारा उक्त सड़क निर्माण कार्य के भुगतान से संबंधित कार्यालयीन दस्तावेजों को भी जब्त करने की चर्चा है। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।

मंत्री से सिफारिश कराओ या फिर 7 लाख रुपए दो

लोक निर्माण विभाग के उपयंत्री को घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़वाने वाले ठेकदार एवं पन्ना जिले तेज तर्राट कांग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय ने पत्रकारों को अपनी पीड़ा सुनाते हुए बताया कि, लंबित बिल भुगतान को लेकर रिश्वत के लिए काफी परेशान करने और आत्म सम्मान से समझौता करने का अनुचित दवाब बनाने के कारण मुझे मजबूर होकर लोकायुक्त पुलिस की शरण में जाना पड़ा। क्योंकि मौजूदा सरकार में भयमुक्त भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। इस अराजक व्यवस्था में कहीं कोई सुनवाई नहीं है। पन्ना जिले के किसी भी सरकारी कार्यालय में बिना रिश्वत या फिर सत्ताधारी दल भाजपा के नेताओं की सिफारिश के बगैर आम आदमी का जायज काम तक नहीं होता। भरत मिलन का आरोप है कि, शिवराज सरकार के खनिज साधन एवं श्रम विभाग के मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहने पर उसका बिल भुगतान रोका गया था। लंबित बिल का पेमेंट कराने के लिए लोक निर्माण विभाग के उपयंत्री मनोज रिछारिया के द्वारा उनसे कथित तौर पर मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह से सिफारिश करवाने या फिर 7 लाख रुपए की रिश्वत देने की मांग की गई थी। पाण्डेय का कहना है, मैनें अपने स्वाभिमान और विचारधारा से किसी तरह का कोई समझौता ना कर भाजपा सरकार मंत्री के समक्ष शरणागत होने से साफ इंकार कर दिया। और सत्ताधारी दल की कठपुतली बने घूसखोर अफसरों को सबक सिखाने के लिए लोकायुक्त पुलिस की मदद लेना उचित समझा। कांग्रेस नेता ने बताया कि 7 लाख रुपए की घूस लेते रंगे हाथ पकड़ा गया उपयंत्री मनोज रिछारिया खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह का खासमखास है। इसलिए रिछारिया भाजपा सरकार में गृह जिला पन्ना में कई सालों से जमे हुए हैं। कांग्रेस नेता के द्वारा लगाए गए आरोपों पर समाचार लिखे जाने तक मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी। 

इनका कहना है-

“रिश्वत लेने के आरोप सरासर झूठे हैं, मुझे साजिश के तहत फंसाया गया है। शाम को मैं कार्यालय में बैठा था तभी ठेकदार भरत मिलन पाण्डेय आए और मेरे सामने कुछ नकदी रुपए व चेक रखते हुए बोले कि आप इसे ठेकेदार संतोष गुप्ता को दे देना, मेरी उनसे बात हो गई है। अगले ही पल लोकायुक्त पुलिस टीम आ गई और मुझे पकड़ लिया। मैंने उन्हें बार-बार बताया कि उक्त राशि न तो मैनें मांगी थी और ना ही उससे मेरा कोई लेना-देना है। ठेकदार ने सड़क निर्माण कार्य में गुणवत्ता विहीन मिट्टी का उपयोग किया था इसलिए विभाग की ओर से उन्हें कई पत्र जारी किए गए और रनिंग बिल की राशि का भुगतान भी रोका गया था। इस कार्रवाई से नाराज होकर ठेकदार के द्वारा मुझे षड्यंत्रपूर्वक फंसाया गया है।”

–  मनोज रिछारिया, उपयंत्री, लोक निर्माण विभाग संभाग, पन्ना।