* भाजपा समर्थित मीना राजे अध्यक्ष व संतोष यादव निर्विरोध उपाध्यक्ष निर्वाचित
* प्रस्तावक-समर्थक ना मिलने से अध्यक्ष के लिए नामांकन नहीं भर सकीं कांग्रेस नेत्री ममता शर्मा
* सबसे ज्यादा सदस्य कांग्रेस के जीते थे लेकिन BJP ने जिपं पर कब्ज़ा जमाने पलट दी बाजी
* स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की एक और शर्मनाक हार से पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों का मनोबल टूटा
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन प्रक्रिया- 2022 के तहत पन्ना में जिला पंचायत के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के निर्वाचन की कार्यवाही शुक्रवार 29 जुलाई को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सम्पन्न हुई। जिला पंचायत के कुल 15 सदस्यों में से सिर्फ 7 सदस्यों ने अध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लिया। शेष सदस्य पन्ना में मौजूद होने के बाद भी अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की चुनावी प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए। भाजपा की इस रणनीति का परिणाम यह हुआ कि, जिले के सात नगरीय निकायों तथा पांच जनपद पंचायतों के बाद त्रिस्तरीय पंचायत राज की सर्वोच्च संस्था जिला पंचायत में भी कमल खिल गया। पन्ना में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित मीना राजे सिंह एवं उपाध्यक्ष पद हेतु संतोष सिंह यादव निर्विरोध निर्वाचित हो गए। निर्वाचन प्रक्रिया में सीमित संख्या में सदस्यों के सम्मलित होने के कारण कांग्रेस नेत्री ममता शर्मा को अध्यक्ष पद हेतु नामांकन दाखिल करने के लिए प्रस्तावक-समर्थक भी नहीं मिल सके। कांग्रेस के लिए यह शर्मनाक स्थिति तब बनीं है, जब उसके सबसे ज्यादा सदस्य चुनाव जीतकर आए थे। कांग्रेस समर्थित सदस्यों को भाजपा एक-एक कर अपने कुनबे में शामिल करती लेकिन जिले में कांग्रेस का कमजोर नेतृत्व उन्हें इस निर्णायक संघर्ष तक अपने साथ बनाए रखने में बुरी तरह असफल साबित हुआ है। नतीजतन जिला पंचायत में चुनाव लड़े बगैर ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के खाते में स्थानीय निकाय चुनाव की एक और शर्मनाक शिकस्त दर्ज हो गई।
पन्ना में शुक्रवार को जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के निर्वाचन की संपूर्ण प्रक्रिया कलेक्टर एवं पीठासीन अधिकारी संजय कुमार मिश्र की मौजूदगी में संपन्न हुई। जिला पंचायत के कुल 15 सदस्यों में से सिर्फ 7 सदस्यों ने ही अध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लिया। जिसमें भाजपा समर्थित सदस्यों की संख्या 5 और कांग्रेस समर्थित 2 सदस्य शामिल रहे। अध्यक्ष पद हेतु नामांकन दाखिल करने के लिए निर्धारित समयावधि में एकमात्र नामांकन भाजपा समर्थित प्रत्याशी जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक-10 से सदस्य मीना राजे सिंह के द्वारा दाखिल किया गया। जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक-7 से कांग्रेस की तेज-तर्राट एवं उच्च शिक्षित नेत्री ममता शर्मा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन फार्म भरने के लिए पूरी तरह तैयार थीं, लेकिन चुनावी प्रक्रिया में सीमित संख्या में सदस्यों के सम्मलित होने से उन्हें प्रस्तावक समर्थक नहीं मिल सके। इस तरह मीना राजे सिंह निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हो गईं। अध्यक्ष के निर्वाचन की कार्यवाही पूर्ण होते ही ममता शर्मा कलेक्ट्रेट सभागार से बाहर चली गईं। फलस्वरूप जिला पंचायत उपाध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया में भाजपा समर्थित पांच सदस्य और कांग्रेस समर्थित एकमात्र सदस्य रावेन्द्र प्रताप सिंह मुन्ना राजा (जिपं सदस्य वार्ड क्र-9) सहित कुल छह सदस्यों ने भाग लिया।
विदित हो कि, पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जिला पंचायत का अध्यक्ष पद अनारक्षित होने की सूरत में उपाध्यक्ष पद पर आरक्षित वर्ग का सदस्य ही निर्वाचित हो सकता है। पन्ना का जिला पंचायत अध्यक्ष पद चूंकि अनारक्षित महिला के लिए आरक्षित था इसलिए उपाध्यक्ष पद आरक्षित वर्गों के खाते में जाने से मौके पर मौजूद कांग्रेस समर्थित सदस्य रावेन्द्र सिंह उपाध्यक्ष की रेस में भाग लेने के लिए पात्र नहीं थे। जिससे उपाध्यक्ष पद हेतु एकमात्र नामांकन पिछड़ा वर्ग से आने वाले जिला पंचायत सदस्य एवं भाजपा नेता संतोष सिंह यादव के द्वारा दाखिल किया गया। इस तरह जिला पंचायत उपाध्यक्ष पद पर संतोष सिंह यादव भी निर्विरोध निर्वाचित हो गए।
निर्विरोध निर्वाचित कराने के लिए नहीं लिया रिक्स
भाजपा सूत्रों की मानें तो तहत जिला पंचायत के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के निर्वाचन हेतु आयोजित सम्मलेन में खास रणनीति के तहत गिनती के चुनिंदा सदस्यों को इस प्रक्रिया में शामिल कराया गया। जबकि निर्वाचन प्रक्रिया में अनुपस्थित रहे वे शेष सभी सदस्य पन्ना में ही मौजूद थे। निर्वाचन की कार्यवाही संपन्न होने के बाद अनुपस्थित रहे सदस्य अचानक कलेक्ट्रेट पहुंचे और नव निर्वाचित अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को बधाई देते नजर आए। भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी के रणनीतिकार इस बात को लेकर डरे हुए थे यदि सभी सदस्य सम्मलेन में शामिल हुए तो बहुत संभावना है, अंदर मौका पाकर कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार नए-नए भाजपाई बने सदस्यों को पुनः अपने पाले में करके उनकी मेहनत पर पानी फेर सकते हैं। इसलिए क्रॉस वोटिंग के डर से काफी सोच-विचार के बाद बिना कोई जोखिम लिए भाजपा समर्थित अध्यक्ष-उपाध्यक्ष प्रत्याशियों को निर्विरोध निर्वाचित कराने की रणनीति पर अमल किया गया। भाजपा की और से अपने सबसे विश्वसनीय सिर्फ 5 सदस्यों मीना राजे सिंह, संतोष सिंह यादव, दिनेश भुर्जी, संतोष कुमार यादव एवं एक अन्य सदस्य को निर्वाचन प्रक्रिया में शामिल कराया गया। जिससे भाजपा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हो गए।
अनुपस्थित रहे सदस्यों के रजिस्टर में हस्ताक्षर !
इस निर्वाचन प्रक्रिया की सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह रही कि अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनाव से सम्बंधित जनसम्पर्क कार्यालय द्वारा जारी किए गए फोटोग्राफ/वीडियो में भले ही 6-7 सदस्य नजर आ रहे हैं मगर, निर्वाचन कार्यवाही के रजिस्टर में ममता शर्मा को छोड़कर सभी 14 सदस्यों के हस्ताक्षर होने की बात विश्वस्त प्रशासनिक सूत्रों से पता चली है। कांग्रेस नेत्री ममता शर्मा एवं रावेन्द्र प्रताप सिंह मुन्ना राजा ने रडार न्यूज़ को मोबाइल पर हुई चर्चा में बताया कि अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया में सिर्फ 7 सदस्यों ने भाग लिया। जबकि उपाध्यक्ष के निर्वाचन में सिर्फ 6 सदस्य ही शामिल रहे। ममता शर्मा चूँकि जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्वाचन की कार्यवाही संपन्न होने के बाद बाहर निकल गईं थीं इसलिए उनके हस्ताक्षर रजिस्टर में नहीं हो सके। अब सवाल यह उठता है कि जब दोनों पदों के निर्वाचन की प्रक्रिया में सिर्फ 6-7 सदस्य ही उपस्थित रहे तो फिर कार्यवाही रजिस्टर में 14 सदस्यों के हस्ताक्षर कैसे हो गए ? यह खेला किसके इशारे पर हुआ ?
पीठासीन अधिकारी ने नहीं दिया जवाब
निर्वाचन कार्यवाही पंजी (रजिस्टर) में 14 सदस्यों के हस्ताक्षर होने की सूत्रों से मिली खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि करने और इसके कारणों को पता लगाने के लिए निर्वाचन की संपूर्ण प्रक्रिया संपन्न कराने वाले पन्ना कलेक्टर एवं पीठासीन अधिकारी संजय कुमार मिश्र से बात करने का प्रयास किया। कलेक्टर श्री मिश्र के मोबाइल पर जब कॉल किया तो कई बार रिंग जाने के बाद भी उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। इस स्थिति में उनके सरकारी और निजी मोबाइल फोन पर व्हाट्सएप मैसेज के रूप में सवाल सेण्ड कर जवाब माँगा गया। उन्होंने, मैसेज को पढ़ तो लिया लेकिन पूंछे गए सवालों का कोई जवाब देना उचित नहीं समझा। कलेक्टर की इस ख़ामोशी क्या अर्थ निकाला जाए। क्या इसे निर्वाचन कार्यवाही में 14 सदस्यों की उपस्थिति रजिस्टर पर दर्ज कराए जाने की सूत्रों से मिली खबर के पुख्ता होने का क्या संकेत माना जाए ! उधर, सोशल मीडिया पर भी यह चर्चा है कि, जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का निर्वाचन की प्रक्रिया में अनुपस्थित रहे सदस्यों ने चुनावी प्रक्रिया संपन्न होने के बाद कलेक्ट्रेट पहुंचकर नव निर्वाचित अध्यक्ष/उपाध्यक्ष से भेंट की। इससे अनुपस्थित रहे सदस्यों की निर्वाचन प्रक्रिया में फर्जी उपस्थिति दर्शाए जाने की की अपुष्ट खबर को प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से बल मिलता है।
कांग्रेस नेत्री बोलीं- करोड़ों में बिके सदस्य
जिला पंचायत पन्ना में भाजपा समर्थित अध्यक्ष-उपाध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित होने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेत्री एवं जिला पंचायत सदस्य ममता शर्मा ने कांग्रेस सहित सभी सदस्यों के करोड़ों में बिकने का आरोप लगाया है। उन्होंने अपने इस बड़े और सनसनीखेज आरोप के समर्थन में एक खबर का हवाला दिया। चर्चा है कि, जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं मीना राजे के परिजनों ने हाल ही में करीब डेढ़ करोड़ रुपए मूल्य की भूमि बेंची है। वहीं उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए भाजपा नेता संतोष सिंह यादव करोड़पति ठेकेदार एवं खनिज कारोबारी हैं। ममता ने बिकने वाले कांग्रेस समर्थित तथा अन्य सदस्यों के नाम गिनाते हुए बताया कि ये लोग पिछले दिनों भाजपा के सत्ता-संगठन में शीर्ष पर बैठे नेताओं से मिलने भोपाल गए थे। पत्रकारों से चर्चा में उन्होंने कहा कि, अभी आपने देखा जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया में अधिकांश सदस्य उपस्थित नहीं थे, सिर्फ प्रस्तावक/समर्थक बुलाकर अध्यक्ष बनवा लिया।
शेष सदस्यों को नजरबंद करके रखने के सवाल पर कांग्रेस नेत्री ने सहमति जताते हुए कहा, सदस्यों की अनुपस्थिति इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। उन्होंने भाजपा का नाम लिए बगैर अनुपस्थित सदस्यों को गुप्त कारावास में रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह अत्यंत ही निंदनीय और अशोभनीय है। जनता के द्वारा चुने गए सभी सदस्यों को आगे की निर्वाचन प्रक्रिया में स्वतंत्र होकर आत्मनिर्णय करने का अवसर देना चाहिए था। श्री मती शर्मा ने कहा कि सदस्यों के ऊपर दबाव बनाकर उनके साथ जोर-जबरदस्ती या खरीद-फरोख्त करना लोकतंत्र और जनमत का मखौल उड़ाना है। उधर, भाजपा ने ममता के आरोपों को पूर्णतः असत्य व मनगढ़ंत बताया है। भाजपा नेताओं का कहना है, जिले में नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो चुका है, इससे उपजी हताशा में आधारहीन आरोप लगाकर कांग्रेस अपनी हार को स्वीकार करने से बच रही है।
भाजपाई हारे तो कांग्रेस सदस्यों को दिलाई सदस्यता
जिला पंचायत सदस्य के निर्वाचन के नतीजे आने पर भारतीय जनता पार्टी के अधिकांश नेतागण एवं उनके परिजन चुनाव हार गए थे। जिनमें मुख्य रूप से पन्ना के भाजपा जिलाध्यक्ष रामबिहारी चौरसिया की पत्नी रेखा चौरसिया, किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष जागेश्वर शुक्ल की पत्नी, युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष भास्कर पाण्डेय की पत्नी मोहनी पाण्डेय एवं भाजपा के रैपुरा मण्डल अध्यक्ष की पत्नी पुष्पा लोधी समेत अन्य भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। जबकि, जिला पंचायत सदस्य के महत्वपूर्ण चुनाव में कांग्रेस समर्थित करीब आधा दर्जन प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे। जिनमें मुख्य रूप से जिला कांग्रेस कमेटी पन्ना के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष रावेन्द्र प्रताप सिंह मुन्ना राजा, ममता शर्मा, अंगद प्रजापति की पत्नी अनीता देवी, लड़कू आदिवासी की बेटी प्रभा गौंड़ शामिल हैं। इसके अलावा आरक्षित वार्डों से जीते अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के अन्य सदस्य कांग्रेस की विचारधारा से प्रभावित बताये जा रहे थे।
इसे देखते हुए हर कोई यह मानकर चल रहा था कि जिला त्रिस्तरीय पंचायत राज की सर्वोच्च संस्था जिला पंचायत में कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष-उपाध्यक्ष आसानी से निर्वाचित हो सकते हैं। लेकिन जिले के कांग्रेस नेतृत्व की अक्षमता के कारण पार्टी की संभावनाएं शुरूआती कुछ ही दिन में समाप्त हो गईं। नगरीय निकाय चुनाव समेत पूर्व में अनेक मौकों पर कांग्रेस नेतृत्व की कमजोर स्थिति को भांप चुके भाजपा के रणनीतिकारों ने हारी हुई बाजी को पलटने जिला पंचायत सदस्यों को अपने पाले में लाने के लिए वह वह सबकुछ किया जिससे सफलता मिलने की पूर्ण संभावना थी। नतीजतन एक-एक कर कांग्रेस समर्थित एवं अन्य स्वतंत्र सदस्य पन्ना से भोपाल रवाना होकर भाजपा की सदस्यता लेते रहे और इधर कांग्रेस नेतृत्व पूरी तरह तमाशबीन वाली मुद्रा में बना रहा।
फोटो शूट कराकर सदस्यों को अपने हाल पर छोड़ा
पन्ना की कांग्रेस में जारी शॉर्टकट वाली सियासत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, जिला पंचायत में जब कांग्रेस समर्थित अधिकांश सदस्य अपनी स्वयं की मेहनत पर विजयी होकर आए तो जिलाध्यक्ष शारदा पाठक द्वारा उन सभी को अपने आवास जोड़कर विक्ट्री साइन दिखाते फोटो शूट कराया गया। और फिर प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व की गुड बुक में अपने नंबर बढ़ाने के लिए उक्त फोटो को सेंड करके उन्होंने अपने कर्तव्य की इति श्री कर ली। मैडम ने जिला पंचायत में कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष व उपाध्यक्ष निर्वाचित कराने के लिए अपने पास चलकर आए सदस्यों को भाजपा के कथित ट्रैप से सुरक्षित रखने के लिए समय रहते किसी तरह का ठोस रणनीतिक कदम नहीं उठाया। परिणामस्वरूप शुरुआत में जिला पंचायत में भाजपा समर्थित सदस्य अल्पमत में होने के बाद भी अंततः उसके अध्यक्ष/उपाध्यक्ष आसानी से निर्विरोध निर्वाचित हो गए। हालांकि कांग्रेस जिलाध्यक्ष शारदा पाठक जिले में कांग्रेस संगठन के कमजोर होने और प्रभावी तरीके से विपक्ष की भूमिका न निभाने के आरोपों से इंकार करती हैं। उनका कहना है, भाजपा ने सत्ता और संसाधनों का दुरूपयोग कर पन्ना सहित पूरे प्रदेश में कांग्रेस को मिले जनादेश को अपने पक्ष में करने के लिए लोकतंत्र की मर्यादाओं को बेरहमी से कुचलते हुए जनमत को हड़पने का काम किया है, भाजपा को इसका जवाब जनता विधानसभा चुनाव में देगी।
इनका कहना है-
“पन्ना जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के लिए संपन्न हुई निर्वाचन की कार्यवाही में जिला पंचायत के सिर्फ 6 या 7 सदस्य उपस्थित रहे। उनमें से मैं कुछ को जानता हूँ, एक-दो सदस्यों के नाम मुझे मालूम नहीं हैं।”
– अशोक चतुर्वेदी, एडीशनल सीईओ, जिला पंचायत पन्ना।
जिला पंचायत पन्ना में कांग्रेस समर्थित सदस्य सबसे अधिक संख्या में चुनाव जीते थे, लेकिन जिपं में भाजपा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हो गए। कांग्रेस नेत्री एवं जिपं सदस्य ममता शर्मा ने BJP की इस जीत का खुलासा करते हुए बताया है कि, करोड़ों रुपए में सदस्य बिके हैं। pic.twitter.com/EhHi1Daxpl
— Radar News (@RadarNews4) July 30, 2022