पन्ना टाइगर रिजर्व : बाघिन की मौत के बाद शावकों के पिता को पहनाया रेडियो कॉलर

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रेडियो कॉलर पहनाने के बाद बाघ पी-243 स्वछंद विचरण हेतु जंगल में छोड़ा दिया गया।

नर बाघ पी-243 का रेडियो कालरिंग कार्य सफलता पूर्वक संपन्न

केन-बेतबा लिंक परियोजना के तहत 14 बाघों के रेडियो कॉलर की अनुमति मिली

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में आज युवा नर बाघ पी-243 को सफलता पूर्वक सेटेलाइट जी.पी.एस. कॉलर किया गया। बाघ को रेडियो कॉलर पहनाने के उपरांत उसे जंगल में स्वछंद विचरण करने के लिए छोड़ दिया गया। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि रेडियो कॉलरिंग का कार्य पार्क की गहरीघाट रेन्ज अंतर्गत मझौली बीट में उनके एवं उप संचालक के मार्गदर्शन में वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता और उनकी रेस्क्यू टीम के द्वारा संपन्न किया गया।
आपने बताया कि पन्ना टाइगर के अंतर्गत केन-बेतबा लिंक परियोजना के तहत भारत सरकार के द्वारा पन्ना लैण्ड स्केप के मैनेजमेंट (प्राकृतिक सौंदर्य प्रबंधन) योजना हेतु 14 बाघों का रेडियो कॉलर करने की अनुमति प्रदान की गई है। बाघ को रेडियो कॉलर पहनाने के बाद अब उसकी प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखना पार्क प्रबंधन के लिए आसान होगा।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में 15 मई को गहरीघाट रेन्ज की कोनी बीट अंतर्गत रेडियो कॉलर वाली युवा बाघिन पी-213 (32) की बीमारी के चलते संदिग्ध परिस्थितियों में असमय मौत हो गई थी। इस बाघिन के दूसरे लिटर के चार नन्हें शावक हैं, जिनकी उम्र अभी महज 6-7 माह है। पार्क के अधिकारियों के मुताबिक युवा बाघ पी-243 इन शावकों का पिता है।
पन्ना टाइगर रिजर्व का हिनौता स्थित प्रवेश द्वार।
पिछले दिनों इन शावकों के लापता हो जाने के बाद पार्क प्रबंधन के द्वारा सघन सर्चिंग अभियान चलाकर उन्हें लोकेट किया गया। शावकों के सुरक्षित व स्वस्थ मिलने पर यह संभावना व्यक्त की गई थी कि इस दौरान वे अपने पिता यानी बाघ पी-243 सम्पर्क में रहे। शावकों को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने हाल ही में कुछ खाया हो। इस पर संभावना व्यक्त की गई, शायद पिता ने भोजन के इंतजाम में उनकी कुछ मदद की है।