पुलिस की बर्बरता : MP में लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर पुलिस ने दो दुकानदारों को बेरहमी से पीटा

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सांकेतिक फोटो।

*   सख़्ती के नाम पर अत्याचार करने का अधिकार किसने दे दिया ?

*   आवश्यक कार्य से घर से बाहर निकलने वालों को भी किया जा रहा अपमानित

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाए लॉकडाउन (कोरोना कर्फ्यू/जनता कर्फ्यू) में पन्ना पुलिस अब लोगों के साथ बर्बरता से पेश आ रही है। लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में पुलिस के द्वारा दो दुकानदारों को बेरहमी से पीटा गया। पुलिस के अत्याचार का शिकार बने एक गरीब सब्जी विक्रेता का वीडियो सोशल मीडिया वायरल है। पीड़ित युवक रुंधे हुए गले से पुलिस की क्रूरता की कहानी बयां करते हुए अपना चोटिल पैर वीडियो में दिखा रहा है। सब्ज़ी का ठेला लगाकर किसी तरह अपने तीन सदस्यीय परिवार का भरण-पोषण करने वाला प्रमोद वर्मन पुलिस की हैवानियत के कारण अब चल-फिर नहीं पा रहा है। इसके आलावा पन्ना में ही कोतवाली चौराहा के समीप स्थित प्रीतम दूध डेयरी संचालक के छोटे भाई के साथ भी मारपीट की गई। दोनों ही घटनाएं शनिवार 24 अप्रैल की हैं।
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के राज में कोरोना माहमारी के दौर में आम आदमी पर पुलिस की बर्बरता सारी हदें पार कर चुकी है। मध्यप्रदेश में पिछले कई दिनों से लगातार लॉकडाउन (कोरोना कर्फ्यू/जनता कर्फ्यू) के चलते दिहाड़ी पर जीवनयापन करने वाले बहुसंख्यक गरीब-मजदूर, छोटे दुकानदार पहले से काफी परेशान हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव की जद्दोजहद में गरीबी-बेरोजगारी-महंगाई-भुखमरी से जूझते बेबस और लाचार आम इंसान के साथ पुलिस की गुण्डागर्दी की ख़बरें बेहद ही हैरान और विचलित करने वाली है। पिछले दिनों इंदौर तथा खण्डवा से वायरल हुए वीडियो में आमलोगों के साथ पुलिस को बेरहमी करते हुए पूरे देश ने देखा। मीडिया की सुर्ख़ियों में रहीं इन दोनों घटनाओं की चौतरफा कड़ी निंदा-आलोचना होने के बाद भी पुलिस के रवैये में कोई ख़ास बदलाव नहीं आया है। पन्ना में प्रकाश में आईं घटनाओं से तो यही खबर मिलती है।
पन्ना पुलिस के अत्याचार का शिकार बना गरीब सब्जी विक्रेता प्रमोद बर्मन।
मध्यप्रदेश में बेकाबू होते कोरोना संकट की प्रभावी रोकथाम में फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में पुलिस अधिकारी-कर्मचारी जहां अपनी जान जोखिम में डालकर रात-दिन जनसेवा के अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाते हुए मानवता की मिशाल पेश कर रहे हैं वहीं कुछ पुलिस वाले ऐसे भी हैं जोकि अपने कृत्यों से जन साधारण के लिए खाकी वर्दी को भय-आतंक का पर्याय बनाकर पूरे महकमे को शर्मसार कर रहे हैं। ऐसी ही मानसिकता के आधा दर्जन पुलिसकर्मियों ने पन्ना के जगात चौकी तिराहा पर शनिवार 24 अप्रैल को दोपहर लगभग 12:30 सब्जी विक्रेता प्रमोद वर्मन 35 वर्ष के साथ लाठी-डण्डों से बेदम मारपीट की गई। इस गरीब का ग़ुनाह सिर्फ इतना है कि उसने लॉकडाउन के दौरान सब्जी बेंचने के लिए निर्धारित समयावधि का उल्लंघन किया था। दरअसल, हाथ ठेले में सब्जी रखकर उसे प्रतिदिन चलते-फिरते बेंचने के लिए पन्ना में दोपहर 12 बजे तक की छूट दी गई है।
प्रमोद के अनुसार वह और उसके साथी सब्जी विक्रेता दोपहर में 12 बजे वापस घर जाने के लिए निकले थे तभी एक ग्राहक सब्जी खरीदने आ गया। इस दौरान अन्य सब्जी विक्रेता आगे निकल गए जबकि प्रमोद ग्राहक को सब्जी देने के चक्कर थोड़ा लेट हो गया। तभी सायरन बजाते हुए पुलिस का एक वाहन जगात चौकी तिराहा पर आकर रुका। उससे उतरे आधा दर्जन पुलिसकर्मी प्रमोद के पास दौड़ते हुए आये और लाठी-डण्डों से उसकी जमकर पिटाई कर दी। वर्दी के रौब में कानून को अपने हाथ में लेकर लाठियां बरसाते पुलिस वालों से सब्जी विक्रेता माफ़ी मांगकर खुद को छोड़ने के लिए मिन्नतें करता रहा लेकिन निर्बल को सजा देने के स्वघोषित/अघोषित अधिकार से लैस क्रूर पुलिसकर्मियों को उस पर ज़रा भी रहम नहीं आया। प्रमोद को सरेआम बेइज्जत कर बुरी तरह पीटने-गालियां देने के बाद पुलिसकर्मी धमकी देते हुए वापस लौट गए। पुलिस के ताबड़तोड़ डण्डों के प्रहार से सब्जी विक्रेता के पैर में आई गंभीर चोट-सूजन के कारण फिलहाल वह चलने-फिरने में असमर्थ है।

लॉकडाउन में बेरोजगार हुई माँ, घर खर्च चला रहा था बेटा

पुलिस के द्वारा लाठी-डण्डों से की गई मारपीट के कारण पैर में आई चोट को दिखाता हुआ प्रमोद बर्मन।
पन्ना पुलिस के अत्याचार का शिकार बने गरीब सब्जी विक्रेता ने बताया कि उसकी माँ घरों में बर्तन साफ़ करने का काम करती है। लॉकडाउन के कारण फिलहाल वृद्ध माँ बेरोजगार हो चुकी है, अब घर का खर्च चलाने का पूरा भार प्रमोद के कन्धों पर आ गया है। परिवार के भरण-पोषण के लिए वह लॉकडाउन के बाद से ही हाथ ठेला में सब्जी रखकर गली-गली घूम-घूम कर उसे बेंचने का काम करता रहा है। लेकिन बीते दिवस पुलिस के द्वारा बेदम पिटाई करने के बाद से वह अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पा रहा है। कोरोना महामारी के चलते मचे हा-हाकार के बीच अब उसे अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी के इंतजाम और स्वयं के इलाज की चिंता सता रही है। पीड़ित युवक ने उसे इस हालत में पहुंचाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

दुकान बंद करते समय पुलिस वाले आए और पीटने लगे

पन्ना में कोतवाली चौराहा के समीप स्थित प्रीतम दूध डेयरी।
पन्ना के कोतवाली चौराहा के समीप स्थित प्रीतम दूध डेयरी के संचालक का छोटा भाई शनिवार को सुबह करीब 10:30 बजे अपनी दुकान बंद कर ही रहा था कि तभी उसकी दुकान के सामने एक पुलिस वाहन आकर रूका। वाहन से नीचे उतरे पुलिस के दो जवान अंदर बैठे उप निरीक्षक या सहायक उप निरीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी के कहने पर नवयुवक को दुकान के अंदर ले जाकर पीटने लगे। इस दौरान उसे पूर्व में भी चेतावनी देने के बाबजूद हर हाल में सुबह 10 बजे दुकान बंद न होने पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने का उलाहना देते हुए 4-5 डण्डे मारे गए। साथ ही गालियां भी दी गईं।

पूंछतांछ किए बगैर ही करने लगते हैं अपमानित

पन्ना में वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान एक गरीब व्यक्ति के साथ पुलिस इस हद तक बर्बरता की थी कि वह स्थाई रूप से विकलांग ही हो गया।
पन्ना में पुलिस वाले कुछ समय से आम लोगों के साथ लगातार अमानवीय बर्ताव कर रहे हैं। किसी आवश्यक कार्य से घर से बाहर निकलने वाले व्यक्ति से पूंछतांछ किए बगैर ही उसे राह चलते घर के अंदर जाने के लिए दुत्कारते हुए अपमानित किया जा रहा है। लॉकडाउन की निगरानी के लिए दिन भर पुलिस के वाहन सायरन/हूटर बजाते हुए नगर भ्रमण करते रहते है। इस दौरान राह में आते-जाते मिलने वाले इक्का-दुक्का लोगों को भी देखकर वाहन के अंदर बैठे पुलिस कर्मचारी-अधिकारी रौब भरे अंदाज में अभद्र तरीके से माइक पर उन्हें हड़काने लगते हैं। पुलिस को इस बात से जरा भी मतलब नहीं रहता है कि कोरोना संक्रमण के भयंकर खतरे के बीच अगर कोई व्यक्ति घर से बाहर निकला है तो यह पता लगाया जाए कि क्या वह सिर्फ तफरी करने अनावश्यक निकला है या फिर कोई जायज वजह है जिसके चलत उसे घर से बाहर निकलना पड़ा।

कोरोना की रोकथाम को लेकर दोहरे मापदण्ड

(फाइल फोटो)
गौर करने वाली बात यह है कि आम आदमी को पुलिस के द्वारा लॉकडाउन के दौरान ऐसे समय पर अपमानित किया जा रहा है जब महज कुछ ही दिन पूर्व तक पड़ोसी जिला दमोह में उपचुनाव के चलते सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नेतागण हजारों लोगों को जोड़कर सभाएं करते रहे हैं। देश कोरोना से मचे त्राहिमाम के बीच प्रधामनंत्री नरेन्द्र मोदी समेत विपक्ष के नेताओं के द्वारा बंगाल, असम समेत पांच राज्यों में बड़ी चुनावी सभाएं-रोड शो किए गए। उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ मेला जैसे वृहद धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति दी गई। जिसमें लाखों श्रद्धालुओं के जुटने से कोरोना संक्रमण के मामले भी सामने आए हैं। कुल मिलाकर कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव को लेकर एक तरफ जानबूझकर हद दर्जे की आपराधिक लापरवाही पर समूचा तंत्र लम्बे समय तक तमाशबीन बना रहता है वहीं दूसरी तरफ आमलोगों पर इतनी अधिक सख्ती की जा रही है ? बेकाबू हो चुके कोरोना कहर के बीच जाहिर है महामारी के नियंत्रण के नाम पर अपनाए गए दोहरे मापदण्डों को लेकर सत्तसीनों व सिस्टम की कड़ी आलोचना भी होगी और इनकी भूमिका को लेकर सवाल भी उठते रहेंगे।

इनका कहना है –

“पुलिस अधीक्षक ने जिले के सभी थाना प्रभारियों एवं पुलिस अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि लॉकडाउन का उल्लंघन करते पाए जाने वाले व्यक्तियों के साथ किसी भी तरह का बुरा बर्ताव (हिंसा) ना कर उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करें। इन निर्देशों का पालन न करने वाले पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”

– बी.के.एस.परिहार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, जिला पन्ना।