रथयात्रा महोत्सव : “जगत के नाथ” दूल्हा बन चले ब्याह रचाने

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अपने रथों में आरूढ़ भगवान बलभद्र, बहिन देवी सुभद्रा व भगवान जगन्नथ स्वामी के दर्शन लाभ लेते धर्मप्रेमी।

पन्ना में धूमधाम से निकली भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा

भगवान की बारात के लिए दुल्हन सा सजा शहर, बराती बने धर्मप्रेमी

बुंदेलखंड की 164 वर्ष से अधिक पुरानी है परम्परा का हुआ निर्वहन

पन्ना। रडार न्यूज़  भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा ऐतिहासिक परम्परानुसार बड़े ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ शनिवार शाम 6 बजे बड़ा दिवाला मंदिर से निकली। 164 वर्ष पुराने बुन्देलखण्ड अंचल के इस सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में हजारों धर्मप्रेमी बाराती बनकर शामिल हुए। दूल्हा बने भगवान जगन्नथ स्वामी के दर्शन पाकर और इतनी बड़ी संख्या में धर्मप्रेमियों के जुटने से मंदिरों की पवित्र नगरी पन्ना का कण-कण पुलकित हो उठा। धार्मिक रीति- रिवाजों के अनुसार रविवार की शाम शहर के जगदीश स्वामी मंदिर से जब भगवान बलभद्र, शक्तिस्वरूपा देवी सुभद्रा और दूल्हा बने भगवान जगन्नाथ स्वामी की प्रतिमाएं मंदिर के गर्भगृह से निकालकर उन्हें शाही रथों पर आसीन किया गया, तो वहां भगवान की एक झलक पाने उपस्थित श्रृद्धालु धर्मप्रेमी भाव-विभोर हो उठे। मंदिर प्रांगण भगवान जगन्नाथ स्वामी के जयघोषों से गुंजायमान हो उठा। भगवान की मनमोहक छवि की एक झलक पाने भक्तों में होड़ मच गई। मंदिरों की नगरी पन्ना में डेढ़ सौ वर्ष से अधिक समय से आयोजित हो रहे ऐतिहासिक रथयात्रा महोत्सव की बात ही कुछ निराली है। तभी तो वर्षों से रथयात्रा महोत्सव में शामिल होकर धर्मलाभ उठाने यहां प्रतिवर्ष बुन्देलखण्ड अंचल के अन्य जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। परम्परानुसार भगवान के बड़े भाई बलभद्र, बहिन देवी सुभद्रा व भगवान जगन्नाथ स्वामी की प्रतिमाओं को पन्ना राज परिवार के सदस्यों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधि-विधान के साथ रथारूढ कराया गया।

रथों को खींचने भक्तों में मची होड़ –

रथयात्रा महोत्सव का परम्परानुसार शुभारंभ कराने के लिए उपस्तिथ पन्ना राजपरिवार के सदस्य।

भगवान के रथों में सवार होने के साथ जैसे ही रथयात्रा शुरू हुई, उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं ने गगनभेदी जयकारों के साथ जगत के नाथ के दर्शन किए। साथ ही रथयात्रा में शामिल भक्तों के बीच रथों को खींचने की होड़ मच गई। भगवान जगन्नाथ स्वामी जी का कीर्तन करते हुए भक्तों ने रथों को खींचकर धर्मलाभ उठाया। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति पूरे श्रद्धाभाव के साथ कीर्तन करते हुए भगवान के रथों को खींचता है। वह पुर्नजन्म से मुक्त हो जाता है। धर्माचार्यों का मानना है कि यह एक ऐसा अद्वितीय पर्व है जब भगवान जगन्नाथ चलकर जनता के बीच आते हैं, भगवान दसों अवतार का रूप धारण करते हैं और सभी भक्तों को दर्शन देकर समान रूप से तृप्त करते हैं।

पुरी की तर्ज पर निकली पन्ना की रथयात्रा-

पन्ना नगर में ऐतिहासिक रथयात्रा महोत्सव की रौनक जगन्नाथपुरी की तर्ज पर होती है। भगवान के रथों के आगे तुरही एवं शंख तथा घण्टों व घरियाल के सुमधुर स्वरों ने पूरे नगर को भक्ति के सागर में सराबोर कर दिया। इस अवसर पर पन्ना महाराज राघवेन्द्र सिंह, राजपरिवार के वरिष्ठ सदस्य लोकेन्द्र सिंह, प्रदेश शासन की मंत्री सुश्री कुसुम सिंह मेदहेले, नगर पालिका अध्यक्ष मोहन लाल कुशवाहा, पूर्व मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व विधायक श्रीकांत दुबे, बाबूलाल यादव, शारदा पाठक, महेन्द्र प्रताप सिंह यादव, रवेन्द्र शुक्ला, मार्तण्ड देव बुंदेला, मनोज गुप्ता, कलेक्टर मनोज खत्री, पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह सहित जनप्रतिनिधि एवं जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के आलाधिकारी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

जगह-जगह उतारी आरती-

जगदीश स्वामी जी मंदिर से प्रथम पड़ाव लखूरन बाग के लिए ऐतिहासिक रथयात्रा के मार्ग में पड़ने वाले मंदिरों में तथा जगह-जगह धर्मप्रेमी जनता द्वारा पूरे श्रद्धाभाव के साथ भगवान की आरती उतारी और अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए जगत के नाथ से प्रार्थना की।

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