शोषण का शिकार सेल्समैनों ने सिस्टम के खिलाफ उठाई आवाज, बोले- प्रतिमाह मिले 8400 रुपए पारिश्रमिक और खाद्यान्न आवंटन में ना हो कटौती

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अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपने के लिए जाते शासकीय उचित मूल्य दुकानों के विक्रेता।

* विक्रेताओं ने कलेक्टर के नाम सौंपा 9 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन

* मांगों का निराकरण न होने पर कामबंद हड़ताल की दी गई चेतावनी

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश सहकारिता कर्मचारी संघ जिला इकाई पन्ना के तत्वाधन जिले भर के शासकीय उचित मूल्य दुकानों के विक्रेताओं ने शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए अपने हितों से जुड़ीं मांगों पर शासन-प्रशासन का ध्यान का ध्यान आकृष्ट कराया है। इस संबंध में कलेक्टर के नाम 9 सूत्रीय मांगों का एक ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें सार्वजानिक वितरण प्रणाली व्यवस्था की विसंगतियों तथा व्यवहारिक कठिनाइयों को इंगित किया गया है। गरीबों के राशन वितरण की व्यवस्था के बेहतर और पारदर्शी तरीके से क्रियान्वयन हेतु विक्रेताओं ने ज्ञापन में उल्लेखित अपनी मांगों पर तत्परता से अमल कराए जाने की बात कही है।
अल्प वेतनभोगी सेल्समैनों ने कई वर्षों से उनका पारिश्रमिक/वेतन का भुगतान न होने एवं वेतन विसंगति में सुधार कराने की मांग को प्रमुखता से उठाया है। समय पर पारिश्रमिक/वेतन न मिलने और उसमें भी विसंगति होने के कारण शासकीय उचित मूल्य दुकानों के विक्रेताओं का शोषण हो रहा है। जानकारों का मानना है कि प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के स्तर पर विक्रेताओं के वेतन का समय पर भुगतान सुनिश्चित न होने और उसमें विसंगति की अराजकतापूर्ण व्यवस्था की वजह से ही गरीबों के राशन वितरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और अनियमितताएं होती हैं।

ये हैं मुख्य मांगें

सांकेतिक फोटो।
विगत दिवस पन्ना कलेक्टर के नाम अपर कलेक्टर जे. पी. धुर्वे को ज्ञापन सौंपकर विक्रेताओं ने मांग की है, सार्वजानिक वितरण प्रणाली में उपलब्ध पीओएस मशीनों में सर्वर की समस्या एवं नेट रिचार्ज की व्यवस्था की जाए। क्योंकि अल्प वेतनभोगी विक्रेता महंगे मोबाइल फोन चलाने और प्रतिमाह 250 रुपए से अधिक के रिचार्ज का भुगतान करने में असमर्थ हैं। जिले में संचालित शासकीय उचित मूल्य दुकानों के कमरा किराए में वृद्धि की जाए एवं ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे मकान मालिक को किराया का मासिक भुगतान संभव हो सके। ज्ञापन में बताया गया है, खाद्यान्न सामग्री के वितरण में 8400+2400 रुपए कमीशन, खाली वारदाना की बिक्री राशि एवं क्षति अनुदान राशि समिति के खाते में प्राप्त होती है। जिसमें विक्रेताओं को 8400 रुपए की दर से प्रतिमाह पारिश्रमिक मिलना चाहिए। लेकिन अधिकाँश समितियों द्वारा इस राशि को अन्य खर्चों पर व्यय किया जाता है। यदि किसी विक्रेता को पारिश्रमिक दिया भी जाता है तो उसमें बंदरबाँट करने के बाद नाम मात्र की राशि उनके हिस्से में आती है। विक्रेताओं की मांग है कि पारिश्रमिक की राशि उनके खातों में डाली जाए ताकि आर्थिक शोषण को रोका जा सके। इसके अलावा तारण ऋण में सुधार कराने एवं पीडीएस पर बैंक द्वारा लगाए जाने वाले ब्याज की व्यवस्था को समाप्त कराने की मांग की गई है।

दोहरी नीति ने बढ़ाई परेशानी

विगत कुछ महीनों से शासकीय राशन दुकानों के खाद्यान्न आवंटन में जारी 30 से 50 प्रतिशत तक की कटौती को लेकर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अफसरों की दोहरी नीति से भी विक्रेता काफी परेशान और नाराज हैं। ज्ञापन में बताया गया है, खाद्यन्न में कटौती होने से जिले भर के विक्रेता पन्ना आकर प्रमाण दे रहे हैं कि सर्वर न मिलने, उपभोक्ता का फिंगर मैच न होने आदि कारण से उपभोक्ताओं को खाद्यान्न वितरण रजिस्टर पर हस्ताक्षर कराकर दिया जा रहा है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अफसरों ने ही उन्हें मौखिक तौर पर यह आदेश दिए हैं कि दुकान से पात्र उपभोक्ता बगैर राशन के खाली हाथ नहीं लौटना चाहिए। दूसरी तरफ ऑफलाइन राशन वितरण पर अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में राशन में कटौती करके उन्हें कई तरह से परेशान किया जा रहा। विक्रेता इस पर सवाल उठाते हुए पूँछ रहे है, इन विरोधाभासी परिस्थितियों में वे उचित मूल्य दुकान का सही तरीके से संचालन कैसे कर पाएंगे ?

ये रहे शामिल

अपने हितों के संरक्षण के लिए ज्ञापन सौंपने वाले विक्रेताओं में मुख्य रूप से पवन गर्ग, देवराज त्रिवेदी, संजू रावत, प्रमोद शर्मा, गोकुमार चनपुरिया, नारायण सिंह, रामप्रताप मिश्रा, नरेन्द्र बड़गैयाँ, सनत मिश्रा, राजेश मिश्रा, रामप्रताप तिवारी, कुंजबिहारी शर्मा, विनोद चतुर्वेदी, भूपेन्द्र गुप्ता, सुशील त्रिपाठी, हर्षवर्धन सिंह, रामावतार विश्वकर्मा, टीकाराम यादव, अशोक उपाध्याय, जगदीश पाठक, धर्मेन्द्र सिंह, रामबिहारी दुबे, अतुल खरे, अमर सिंह, दुलीचन्द्र, संत कुमार वर्मा, राकेश कुमार पटेल, अरुण कुमार पटेल, दिनेश शर्मा, किशनू प्रसाद पटेल सहित अन्य विक्रेता शामिल थे। ज्ञापन की प्रतियां आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रदेश के मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री, पंजीयक सहकारिता एवं सहायक पंजीयक सहकारी संस्थायें पन्ना समेत अन्य को भेजा गया है। विक्रेताओं ने ज्ञापन में उल्लेखित मांगों का निराकरण न होने पर कामबंद करने की चेतावनी दी है।