”लोकतंत्र की रक्षा के लिए पत्रकारों की सुरक्षा जरूरी“… एमपी में पत्रकार को जिंदा जलाने की वारदात से उपजा आक्रोश

0
1398

* देश भर में पत्रकारों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं से रोष व्याप्त

* पन्ना के पत्रकारों ने मौन धारण कर सागर के मृत पत्रकार को दी श्रद्धांजलि

* पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सख्त लागू करने सोमवार को सौंपा जाएगा ज्ञापन

पन्ना।(www.radarnews.in) पत्रकार लोकतंत्र के सजग प्रहरी है, इसलिए लोकतंत्र की रक्षा के लिए पत्रकारों की सुरक्षा बेहद जरूरी है। दुर्भाग्य से आज हम उस दौर में हैं जब सच को सामने लाने, जनहित-देशहित को ध्येय बनाकर काम करने, मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आवज बुलंद करने वाले पत्रकार सुरक्षित नहीं है। पिछले कुछ समय से देश के अंदर पत्रकारों की हत्याओं एवं उनके विरुद्ध हिंसा की चिंताजनक तेजी से बढ़ती घटनाओं से स्वतंत्र,निष्पक्ष और निर्भीक आवाज को कुचलने की लगातार कोशिश हो रही है। यह न तो समाज के हित में है और ना ही देश के हित में है। पन्ना जिले के पत्रकारों ने गुरुवार को एक शोकसभा में यह विचार व्यक्त किए। मध्य प्रदेश के सागर जिले के शाहगढ़ में पत्रकार चक्रेश जैन को जिंदा जलाकर हत्या किए जाने की लोमहर्षक वारदात सामने आने पर पन्ना के पत्रकारों ने इस घटना पर गहरा रोष व्यक्त किया है। साथ ही प्रदेश, देश और दुनिया में हिंसा में मारे गए पत्रकार साथियों के दुखद निधन पर शोक व्यक्त करते हुए दो मिनिट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई।
सागर जिले के शाहगढ़ में पत्रकार चक्रेश जैन को जिंदा जला देने की दिल दहला देने वाली वारदात से एक ओर जहाँ पूरा देश स्तब्ध है वहीं विचलित करने वाली इस घटना ने पत्रकारों को हिलाकर कर रख दिया है। लोकतंत्र के अघोषित चौथे स्तंभ पर लगातार हो रहे हमलों से ऐसा वातावरण निर्मित हो गया है, जिसमें कलमकारों के लिए ईमानदारी से अपना काम करना मुश्किल सम्भव नहीं है। शोकसभा में उपस्थित जिला मुख्यालय पन्ना के पत्रकारों ने हिंसा का शिकार हुए अपने साथियों की स्मृति में लोकपाल सागर तालाब किनारे पौधरोपण किया। इस अवसर पर देश और दुनिया में जिन पत्रकारों ने कर्तव्य पथ पर चलते हुए अपने प्राणों की आहूती देकर पत्रकारिता के मूल्यों को अक्षुण्य बनाए रखा उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उन्हें नमन किया गया।

सजगता के साथ तथ्यपरक खबरें दें

शोकसभा तत्पश्चात पत्रकारों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। जिसमें पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और इस तरह की घटनाओं पर शासन-प्रशासन की सहजता के सम्बंध गहन विचार-विमर्श हुआ। शाहगढ़ की घटना पर सभी पत्रकारों ने एक स्वर में गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए इसे भारत के पत्रकारिता इतिहास में दर्ज काला अध्याय बताया। और कहा कि जिस दिन पत्रकार नहीं बचेंगे उस दिन देश में लोकतंत्र नहीं बच पाएगा। इस अवसर वरिष्ठ पत्रकार बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखते हुए हमें कहीं अधिक सतर्कता, सजगता और जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करने की जरूरत है। हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि हम कोई ऐसा काम ना करें जिससे पत्रकार और पत्रकारिता बदनाम हो। हम अपनी हदों को जाने और उसके अंदर रहते हुए जन समस्याओं से लेकर शासन-प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार, अपराध आदि की खबरें प्रकाशित करें। खबर प्रकाशन से पूर्व तथ्यों की अच्छी तरह पड़ताल करना बेहद जरूरी है और उसमें सभी पक्षों की बात को समाहित करें। खबर प्रकाशित करने में जल्दबाजी न कर तथ्यपरक और विश्वसनीय खबर देना हमारा दायित्व है। कई बार जल्दबाजी में खबरें देने के चक्कर में तथ्यों की आधी-अधूरी पड़ताल पत्रकार और पत्रकारिता दोनों के लिए घातक साबित होती है।

पत्रकारिता की पवित्रता को बनाए रखें

इस अवसर पर पत्रकार सादिक खान ने कहा कि पत्रकारिता एक मिशन है और इसकी पवित्रता को बनाए रखना हमारा धर्म है। हम यदि पत्रकारिता कर रहे हैं तो हर समय एक बात हमारे जेहन में होनी चाहिए कि हम कोई ऐसा काम न करें जिससे कि कोई हमारे ऊपर ऊंगली उठा सके। पत्रकारिता की आड़ यदि हम अवैध कार्य कर रहे हैं तो हमें दूसरों पर उंगली उठाने का नैतिक रूप से कोई अधिकार नहीं है। दूसरे के संबंध में कुछ भी लिखने से पहले हम आत्मचिंतन, आत्म अवलोकन करें अथवा अपने गिरेबान में झांके कि हम जो दूसरों के लिये लिखना चाहते है उसे लिखने के हम पात्र भी है या नहीं। हमारे समाचारों में यथा सम्भव व्यवस्था और समस्या केन्द्र बिन्दु होनी चाहिए, हम व्यक्ति विशेष पर केंद्रित दुर्भावनापूर्ण खबरें प्रकाशित करने से बचें क्योंकि यह काजल की कोठरी की तरह है। खबरों में हम सच को पूरे साहस के साथ कहें लेकिन हमारा लेखन अथवा भाषा शैली अमर्यादित और असंसदीय नहीं होनी चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

पत्रकारिता की आड़ में न करें गलत काम

वरिष्ठ पत्रकार नीतेंद्र गुरुदेव ने इस अवसर पर कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश करने से हम किसी को रोक नहीं सकते लेकिन वास्तव में पत्रकार कौन है, यह उसके लेखन, चिंतन और कार्यशैली से पता चल जाता है। इसमें ज्यादा देर नहीं लगती है। वर्तमान में कतिपय धंधेबाज और माफिया प्रवृत्ति के लोग अपने धंधों को संरक्षण प्रदान करने अथवा अपने गलत कामों को पत्रकारिता की आड़ में सुगमता से करने के लिए इस क्षेत्र में उतर आए हैं। इनके काले कारनामों की वजह से पत्रकार और पत्रकारिता दोनों बदनाम हो रहे हैं। आपने कहा कि यह गर्व की बात है कि आज जिले से लेकर प्रदेश और देश में कई ऐसे पत्रकार भी है जो कि अपनी पत्रकारिता से समाज को नई दिशा दे रहे हैं। पत्रकारिता में बढ़ते अवांछित तत्वों के प्रवेश से उत्पन्न समस्या को देखते हुये, उन लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है जोकि वाकई कलम के सिपाही है। पन्ना में भी कुछ ऐसे तत्व हैं जोकि पत्रकारिता की आड़ में रेत-पत्थर के अवैध उत्खनन, परिवहन और अधिकारियों की दलाली कर पत्रकारिता को कलंकित करते हैं। हमें चाहिए कि ऐसे लोगों से दूर रहें और बिना किसी दुर्भावनावश अथवा पूर्वाग्रह के जनसमस्याओं को उजागर करते रहेंं, व्यवस्था को हकीकत का आईना दिखाते रहें और संकट की घड़ी में एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करते रहें।

इन माँगों को लेकर सौंपा जाएगा ज्ञापन

बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि सोमवार 24 जून को पत्रकारों की सुरक्षा, हितों के संरक्षण, पत्रकार चक्रेश जैन को न्याय दिलाने एवं समस्याओं के निराकरण हेतु शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए देश के राष्ट्रपति, मध्य प्रदेश के राज्यपाल प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम सोमवार को पन्ना जिले के कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा जाएगा। जिसमें मुख्य रूप से पत्रकार चक्रेश जैन के आश्रितों को जीवन यापन के लिए एक करोड़ की सहायता राशि देने, घर के किसी एक सदस्य को शासकीय नौकरी देने, मृत पत्रकार के मृत्यु पूर्व कथन दर्ज करने में लापरवाही बरतने एवं इस तरह की घटनाओं से मध्य प्रदेश और देश में हुई बदनामी को देखते हुए शाहगढ़ थाना के पूरे स्टॉफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए सागर जिले के एसपी को तत्काल प्रभाव से हटाने, पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर संरक्षण प्रदान करने के लिए तत्काल प्रभाव से कानून लागू किया जाए एवं उसमें पत्रकारों के खिलाफ हिंसा करने वाले के विरुद्ध सजा के कठोरतम प्रावधान करने, पत्रकारों के खिलाफ किसी भी मामले में बगैर जांच के एफआईआर दर्ज न करने का प्रावधान किया जाए। पत्रकारों की सम्मान निधि में वृद्धि करने, 10 वर्ष के अनुभव के आधार पर सभी को अधिमान्यता प्रदान करने, पत्रकारों को सामाजिक सुरक्षा एवं सम्मानपूर्वक जीवन यापन हेतु आवश्यक प्रावधान करने, पत्रकार चक्रेश जैन की मौत के मामले की उच्च स्तरीय जाँच कराकर दोषियों को शीघ्रता से कठोरतम सजा दिलाने हेतु आवश्यक उपाय करने सहित अन्य मांगें शामिल रहेंगी।

इनकी रही उपस्थिति

शोकसभा एवं बैठक में मुख्य रूप से आरिफ सिद्दीकी, राकेश पाण्डेय, शिव किशोर पाण्डेय, लक्ष्मीकांत शर्मा, एम.एस. खान, सतीश जायसवाल, अर्चना प्यासी, टाईगर खान, भानु गुप्ता, दीपांत शर्मा, इदरीश मोहम्मद, अमर सिंह, एल.एन. छिरोलया, अशोक त्रिवेदी, संतोष अवस्थी, ऋषि मिश्रा, पुष्पेन्द्र दिवेदी, सौरभ साहू, विकास सेन, कैलाश रैकवार, राजेंद्र कुमार लोध, राकेश द्विवेदी, मनीष सारस्वत, रोहित रैकवार, अमित जड़िया सहित अन्य पत्रकार साथी उपस्थित थे।