आख़िरी दिन चरम पर रही अंधेरगर्दी, लक्ष्मीपुर केन्द्र पर सैंकड़ों क्विंटल अमानक स्तर की धान की हुई तुलाई

0
508

*   सर्वेयर ने दवाब में आकर घटिया धान की तौल कराना स्वीकारा

*   सवाल पूंछने पर बोला- आप निश्चिंत रहें, मैं घटिया धान को रिजेक्ट कर दूंगा

*   यूपी से आयातित घटिया धान की किसानों के फर्जी पंजीयन पर खरीदी की चर्चा

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) भ्रष्टचार और घूसखोरी के लिए बदनाम अति पिछड़े पन्ना जिले में धान की सरकारी खरीदी में इस बार शुरू से ही गड़बड़ी हावी रही। लेकिन, धान उपार्जन के आखिरी दिन शनिवार 15 जनवरी को अंधेरगर्दी अपने चरम पर पहुँच गई। इसकी बानगी जिला मुख्यालय की नजदीकी प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति लक्ष्मीपुर के धान खरीदी केन्द्र अर्चना वेयर हाउस कृष्णा-कल्याणपुर में देखने को मिली। जहां अंतिम दिनों में बड़े पैमाने पर अमानक स्तर की धान खरीदी का खेल हुआ। एफ़एक्यू के मानकों को ठेंगा दिखाकर सैंकड़ों क्विंटल घटिया क्वॉलिटी का धान खरीदा गया और तौल कराई गई। मामला मीडिया के संज्ञान में आने पर धान खरीदी की धांधली पर पर्दा डालने की कवायद तेज हो गई। केन्द्र पर नागरिक आपूर्ति निगम के सैंकड़ों बारदानों में रखी घटिया धान की तौल होने के बाद अब उसे रिजेक्ट करने की बात कही जा रही है। कमोबेश इसी तरह की अनियमितताएं जिले के अन्य धान उपार्जन केन्द्रों में की गई हैं।
लक्ष्मीपुर समिति के धान खरीदी केन्द्र अर्चना वेयर हाउस कृष्णा-कल्याणपुर में शनिवार को बड़ी मात्रा में गुणवत्ता विहीन धान की खरीदी होने की सूचना मिलने पर पन्ना से मीडिया कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर वस्तुस्थिति का जायजा लिया। इस दौरान केन्द्र के मुख्य गेट पर ताला जड़ा मिला। और बाहर सड़क के दोनों तरफ खड़े दो दर्जन से अधिक वाहनों में हजारों क्विंटल धान लोड थी। जोकि केन्द्र का गेट खुलने पर धान को अनलोड कर बिक्री के लिए उसकी तौल कराने अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे। हालाँकि, कतिपय लोग बाहर की तरफ से ट्रेक्टर-ट्रॉली को गेट से सटाकर बमुश्किल अपनी धान को केन्द्र पर भंडारित करने की जद्दोजहद में जुटे थे।
वहीं केन्द्र के अंदर वेयर हाउस प्रांगड़ में बड़ी मात्रा में रखी धान की तीन अलग-अलग स्थानों पर कथित तौर पर किसानों की बोरियों से सीधे नागरिक आपूर्ति निगम के बारदानों में पलटी करके तुलाई की जा रही थी। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि, धान की तौल के बाद सिलाई के लिए रखे सैकड़ों बारदानों में बेहद ही घटिया किस्म की धान भरी मिली। मीडिया कर्मियों ने जब उसे अपने कैमरों में कैद करना शुरू किया तो धान उपार्जन केन्द्र के अमले और वहाँ मौजूद संदिग्ध किसानों में जबरदस्त हड़कंप मच गया।
केन्द्र प्रभारी की अनुपस्थिति में खरीदी की जिम्मेदारी सम्भाल रहे नागरिक आपूर्ति निगम के सर्वेयर से अमानक स्तर की धान खरीदने को लेकर सवाल पूंछने पर उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए सारा दोष किसानों पर ही मढ़ दिया। सर्वेयर ने बड़े पैमाने पर अमानक स्तर की धान की तौल होने की बात कैमरे पर स्वीकार करते हुए अपनी सफाई में बताया कि मेरे ऊपर दवाब बनाकर किसानों ने जबरदस्ती तौल कराई है, लेकिन आप निश्चिंत रहें तौल होने के बाद भी मैं घटिया धान नहीं खरीदूंगा उसे रिजेक्ट कर दूंगा।
सर्वेयर से जब यह पूंछा गया कि अमानक धान की मात्रा कुल कितनी है और वह किन-किन किसानों की है? सवाल के जवाब में उसने बताया कि संबंधित किसान तौल कराकर अपना पंजीयन समेत अन्य दस्तावेज लेने घर चले गए हैं। सर्वेयर का यह ज़वाब न सिर्फ असंतोषजनक है बल्कि कई सवालों को जन्म देने और धान खरीदी में हुई धांधली की आशंकाओं को बल देने वाला है। मामला संदिग्ध प्रतीत होने पर मीडिया कर्मियों के द्वारा मौके से ही अमानक स्तर की धान खरीदी की जानकारी मोबाइल पर नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक को दी गई।
एफ़एक्यू के मानकों की अनदेखी करके घटिया क्वॉलिटी की धान की तौल कराने को लेकर कृष्णा-कल्याणपुर केन्द्र पर यह चर्चा रही कि, उक्त धान किसानों की नहीं बल्कि अनाज व्यापारियों की है। कथित तौर पर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से आयात करके लाई गई घटिया धान को किसानों के फर्जी पंजीयन पर बेंचने की कोशिश की जा रही थी। दरअसल, धान उपार्जन से जुड़े विभिन्न विभागों के अफसरों, व्यापारियों और खरीदी केन्द्र प्रभारियों की मिलीभगत से धान उपार्जन में धांधली का खेल इस बार बड़े पैमाने पर खेला गया है।
सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश से लाकर बेंची जाने वाली धान में प्रति क्विंटल 300 से 200 रुपए तक की बचत होती है। जिसमें लगभग 100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से राशि विभिन्न स्तर पर कमीशन के तौर पर देनी पड़ती है। बताते चलें कि शनिवार 15 जनवरी की दोपहर तक यानी कि अंतिम तारीख तक लक्ष्मीपुर समिति के धान खरीदी केन्द्र अर्चना वेयर हाउस कृष्णा-कल्याणपुर में 12 हजार क्विंटल धान खरीदी जा चुकी थी। जबकि रिजेक्ट की गई धान की मात्रा सिर्फ 40 क्विंटल रही है।