सूखे तालाब शहर में पेयजल को लेकर मचने लगी हाहाकार, नपा ने संकट के समय नगरवासियों को अपने हाल पर छोड़ा

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पेयजल सप्लाई के चलते एवं गर्मी के मौसम में पानी सूखने के कारण मैदान में तब्दील हो गया पन्ना का धरम सागर तालाब।

पन्ना नगर की बड़ी आबादी बूँद-बूँद पानी को मोहताज

मानसून की देरी के कारण बद से बद्तर होने लगे हालात

नेताओं की सिफारिश पर मनमाने तरीके से दौड़ाए जा रहे नपा के टैंकर

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) जिला मुख्यालय पन्ना में पेयजल सप्लाई करने वाले झीलनुमा विशाल तालाबों के सूखने अथवा उनका पानी तेजी से समाप्त होने की कगार पर पहुँचने से पेयजल को लेकर हाहाकार की स्थिति निर्मित हो चुकी है। इन दिनों पन्ना नगर की बड़ी आबादी को पीने के पानी की व्यवस्था के लिए जद्दोज़हद करनी पड़ रही है। मानसून की बेरुखी और नगर पालिका परिषद के कुप्रबंधन के कारण हर गुजरते दिन के साथ हालात बद से बद्तर हो रहे हैं।
सांकेतिक फोटो।
नगर की नई और पुरानी पाइप लाइन में कीचड़ की भीषण दुर्गंध वाले दूषित पानी की सप्लाई की जा रही है, जो पीने तो क्या निस्तार के लायक भी नहीं है। कई इलाके ऐसे भी हैं, जहां पानी पहुँच ही नहीं रहा है। आग-उगलती उमस भरी गर्मी में पन्ना में पानी को लेकर चौतरफा त्राहिमाम की स्थिति निर्मित है। अलसुबह से ही लोग यहां खाली डिब्बे-पीपे-बर्तन लेकर पानी की व्यवस्था करने के लिए निकल पड़ते है, मध्य रात्रि तक बोरबेल और कुओं में पानी भरने वालों का तांता लगा रहता। जल संकटग्रस्त बस्तियों में नगर पालिका के द्वारा टैंकरों से पानी की सप्लाई करने के दावों के बीच पानी को लेकर दर-दर भटकते लोग पेयजल परिवहन व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं।

पानी बेंचने वालों का चल पड़ा धंधा

धरमसागर तालाब की रिंग रोड किनारे जारी निर्माण कार्य हेतु ठेकेदार के द्वारा खरीदा गया पानी का टैंकर।
पानी को लेकर बढ़ती परेशानी ने शहर के कई परिवारों एवं नौकरी पेशा लोगों के खर्च में इजाफ़ा कर दिया है। दरअसल जिन परिवारों के सदस्य बाहर से पीने का पानी भरकर लाने से झिझकते हैं, उन्हें पानी खरीदना पड़ रहा है। गंभीर रूप ले चुके पेयजल संकट के बीच बदबूदार पानी की सप्लाई के कारण पानी बेंचने वालों का धंधा चल पड़ा है। यह सब ऐसे समय पर हो रहा है जब कई माह पूर्व पन्ना जिले को जल आभाव ग्रस्त घोषित कर पानी के व्यवसायिक उपयोग पर रोक लगा दी गई थी।
पेयजल के अलावा निर्माण कार्यों के लिए भी पानी की बिक्री खुलेआम जारी है, जबकि निर्माण कार्यों पर भी प्रशासन ने कागजी रोक लगा रखी है। कुल मिलाकर पेयजल संकट से निपटने में नाकाम नगर पालिका के नुमाइंदों की उदासीनता ने इस संकट को बेहद जटिल बना दिया है। उधर, आपदा में अवसर की खोज के महामंत्र को आत्मसात कर चुके पानी बेंचने वाले पूरी क्षमता के साथ भू-जल का दोहन कर नोट छापने में जुटे हैं। मजेदार बात तो यह कि पन्ना के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष भी पानी के धंधे से जुड़े हैं।

इन इलाकों में पेयजल का गंभीर संकट

सांकेतिक फोटो।
पन्ना नगर में पेयजल आपूर्ति करने वाले तीन तालाबों में शामिल धरमसागर तालाब पूरी तरह सूख चुका है। इस विशाल तालाब के दो गड्ढों में ही नाम मात्र का पानी नजर आता है। जबकि गहरा ग्राम में स्थित निरपत सागर एवं लोकपाल सागर तालाब में अब कुछ ही दिनों का पानी शेष बचा है। मानसून के सक्रिय होने में हो रही देरी और तालाबों के तेजी सूखने के कारण पन्ना नगर की बड़ी आबादी पेयजल संकट से जूझ रही है। लेकिन सबसे अधिक चिंताजनक स्थिति इन्द्रपुरी कॉलोनी की आंतरिक बस्ती, टिकुरिया मोहल्ला, बीटीआई के पीछे नहर किनारे स्थित बस्ती, पहाड़कोठी, रानीगंज मोहल्ला, सिंचाई कॉलोनी, आगरा मोहल्ला की है।
नगर पालिका परिषद के द्वारा इन संकटग्रस्त इलाकों में टैंकर से पेयजल परिवहन कर आपूर्ति का कार्य प्राथमिकता के साथ योजनाबद्ध तरीके से सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है। मुश्किल वक्त में अघोषित तौर पर नगर पालिका के अकर्मण्य और असंवेदनशील अधिकारियों ने नगरवासियों को उनके हाल पर छोड़कर “आत्मनिर्भर” बना दिया है। उनके द्वारा सिर्फ नेताओं की सिफारिश पर पानी के टैंकर भेजे जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस संबंध में जब नगर पालिका के सीएमओ यशवंत वर्मा से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया तो उनका मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुआ।