हजारों क्विंटल गेहूं बारिश में बर्बाद होने के बाद “एक्शन मोड में आए साहब” लापरवाहों पर चलाया कार्रवाई का चाबुक

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पिछले दिनों हुई बारिश के पानी के बीच खरीदी केन्द्र सिमरिया में खुले आसमान के नीचे रखीं गेहूं से भरी बोरियां। (फाइल फोटो)

* जिले के 8 उपार्जन केन्द्र और उनके कर्मचारी ब्लैक लिस्टेड

* उपार्जन केन्द्र प्रशासकों की एक-एक वार्षिक वेतनवृद्धि रूकी

* समिति प्रबंधकों एवं सर्वेयरों से को थमाए नुकसान की वसूली के नोटिस

* लापरवाह सहकारिता निरीक्षकों की दो वेतनवृद्धि रोकने का नोटिस जारी

* खरीदी बंद होने 12 दिन बाद भी केन्द्रों में खुले आसमान के नीचे डंप 1 लाख 39 हजार क्विंटल गेहूं  

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) चक्रवाती तूफ़ान के असर से प्रदेश में तेज बारिश होने की चेतावनी के बाद भी पन्ना जिले के उपार्जन केन्द्रों में सवा लाख क्विंटल से अधिक गेहूं खुले आसमान के नीचे पूर्णतः अव्यवस्थित एवं असुरक्षित तरीके से डंप रहा। जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि विगत दिवस 4-5 जून को करीब 24 घण्टे से अधिक समय तक हुई प्री-मानसून की बारिश में करोड़ों रुपये मूल्य का गेहूं के भीगकर बर्बाद हो गया। उपार्जन एवं भंडारण की इस बदहाल व्यवस्था को लेकर पिछले दो दिनों से विभिन्न समाचार माध्यमों की ख़बरों में तीखी आलोचना हो रही है साथ ही कथित जिम्मेदार अफसरों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। इन ख़बरों से मची हलचल से बड़े अफसरों की नींद अब जाकर टूटी है। एक्शन मोड में आए पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने इस बेहद गंभीर मामले को संज्ञान लेकर कई लापरवाहों के खिलाफ ताबड़तोड़ अंदाज में कार्रवाई का चाबुक चलाया है।
पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा।
कलेक्टर ने आज पांच लापरवाह उपार्जन केन्द्र प्रशासकों की एक-एक वार्षिक वेतनवृद्धि रोक दी। खरीदे गए अनाज की गुणवत्ता से समझौता होने से जुड़े मामले में उन्होंने जिले के 8 उपार्जन केन्द्र और उनमें तैनात अमले को उपार्जन कार्य के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया। इसके आलावा बारिश से अनाज को हुए भारी नुकसान के मद्देनजर 3 समिति प्रबंधकों एवं सर्वेयरों को उपार्जन संबंधी नुकसान की वसूली के नोटिस थमाए गए। साथ ही उपार्जन केन्द्रों पर उचित व्यवस्था सुनिश्चित न कराने पर दो लापरवाह सहकारिता निरीक्षकों की दो वेतनवृद्धि रोकने का नोटिस जारी किया है। उपार्जन केन्द्रों में पसरी अराजकता के कारण वहां डंप हजारों क्विंटल गेहूं के बारिश की भेंट चढ़ने के बाद उच्चाधिकारियों के हरकत में आने को कतिपय लोग सवालों की सलीब से खुद को और अपनी कुर्सी को बचाने की कवायद के तौर पर देख रहे हैं। इस तरह का नजरिया रखने वाले कितने सही हैं यह तो संबंधित अधिकारी ही बेहतर जानते हैं। बहरहाल लापरवाहों के खिलाफ कार्रवाई होने से यह उम्मीद की जा रही है कि गेहूं उपार्जन को मजाक बनाने वालों को सबक मिलने से भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति नहीं होगी।

एक-एक वार्षिक वेतनवृद्धि रूकी

रबी उपार्जन 2020-21 के तहत गेंहू उपार्जन के लिए चयनित उपार्जन केन्द्रों की जांच के दौरान पाया गया कि प्रशासकों द्वारा उपार्जन कार्य में लापरवाही बरती जा रही है। इन सभी लापरवाह प्रशासकों को पूर्व में स्पष्टीकरण दिया गया था। इनके द्वारा प्रस्तुत उत्तर समयावधि में समाधानकारक नहीं पाया गया। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन सही ढंग से न करने के कारण ऐसी समितियों के प्रशासकों की असंचयी प्रभाव से एक-एक वेतनवृद्धि रोकने के आदेश दिए हैं। इनमें उपार्जन केन्द्र पवई के सहकारिता निरीक्षक पी.सी. सोनी, अहिरगवां की सुश्री दीपशिखा, जिगदहा के विनोद कुमार मिश्रा एवं सुडौर, बिसानी, बघवारकला, सिमरिया के राजीव तिवारी तथा महेबा के सहकारिता निरीक्षक उमेश श्रीवास्तव की वार्षिक वेतनवृद्धि रोकी गयी है।

गुणवत्ता से समझौता करने पर ब्लैक लिस्टेड

पन्ना कलेक्टर ने गेहूं उपार्जन कर रहे केन्द्रों की कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी एवं गुणवत्ता नियंत्रक से शिकायतें मिलने पर जांच कराई गयी। जांच के दौरान जिले के 08 उपार्जन केन्द्रों में उपार्जन नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर ब्लैक लिस्टेड किया गया। उन्होंने आदेश दिए हैं कि इन केन्द्रों के समस्त कर्मचारियों को भविष्य में उपार्जन के कार्य में न लगाया जाए। इनके संबंध में की गयी कार्यवाही का प्रतिवेदन कार्यालय कलेक्टर खाद्य शाखा ने तलब किया है।

नुकसान की वसूली के नोटिस

खरीदी केन्द्र मोहन्द्रा में अनाज को इस तरह रखा गया।
जिले के जिन उपार्जन केन्द्रों में बारिश के कारण गेहूं को हानि हुई है उसकी भरपाई के लिए ऐसे समिति प्रबंधकों एवं सर्वेयरों को हानि की वसूली संबंधी कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। इन समिति प्रबंधकों एवं सर्वेयरों को मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट एवं समय रहते उपार्जित गेंहू को परिवहन कर भण्डारित करने अथवा केन्द्र परिसर में रखें गेहूं को तिरपाल से ढकने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। किन्तु संबंधित समिति प्रबंधक एवं सर्वेयर द्वारा गेहूं को तिरपाल से नहीं ढका गया। जिससे 4 एवं 5 जून को हुई बारिश से गेहूं भीग गया। कलेक्टर द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि, इससे यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि संबंधित समिति प्रबंधकों एवं सर्वेयरों द्वारा घोर लापरवाही, अनुशासनहीनता, स्वैच्छाचारिता की गयी जो कदाचरण की श्रेणी में आता है। यह कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम में निहित प्रावधानों के विपरित है। इस कृत्य के लिए बारिश में खराब हुए आनाज की बाजार मूल्य पर राशि आपसे वसूली की जाए।
महेवा खरीदी केन्द्र में गेहूं के साथ-साथ चना-सरसों भी बड़ी मात्रा में भीगा है, इस केन्द्र पर भी अनाज को बचने के इंतजाम नाकाफी रहे।
इस संबंध में भागीरथ पटेल समिति प्रबंधक एवं सर्वेयर राघवेन्द्र सिंह प्राथमिक सहकारी समिति सुनवानीकला, रामदास साहू समिति प्रबंधक एवं सर्वेयर मनीष खरे प्राथमिक सहकारी समिति सिमरिया तथा बृजमोहन सिंह तोमर समिति प्रबंधक एवं सर्वेयर मुकेश पटेल प्राथमिक सहकारी समिति महेबा को कारण बताओ पत्र देते हुए आदेशित किया गया है कि दो दिवस के अन्दर समक्ष में उपस्थित होकर उत्तर प्रस्तुत करें। उत्तर प्राप्त होना अथवा समाधानकारक न होने पर तदानुसार कार्यवाही की जाएगी।

सहकारिता निरीक्षकों की रुकेगी वेतनवृद्धि ?

बारिश के दौरान सिमरिया केन्द्र का नाजरा कुछ ऐसा रहा।
उपार्जन के लिए निर्धारित महेबा एवं सिमरिया उपार्जन केन्द्रों में नियुक्त प्रशासकों द्वारा उपार्जन केन्द्रों पर उचित व्यवस्था न किए जाने पर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इनमें विष्णु दीक्षित सहकारिता निरीक्षक प्रशासक उपार्जन केन्द्र महेबा एवं विनोद मिश्रा सहकारिता निरीक्षक प्रशासक उपार्जन केन्द्र सिमरिया शामिल हैं।
खरीदी केन्द्र मोहन्द्रा में अनाज की बोरियों को ढकने के लिए पर्याप्त पॉलीथिन तक नहीं।
जारी किए गए स्पष्टीकरण में लेख किया गया है कि इन दोनों प्रशासकों द्वारा मौसम विभाग के एलर्ट एवं वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों के बाद भी समय रहते उपार्जित आनाज का परिवहन कराकर सुरक्षित भण्डारण नहीं कराया गया। इस प्रकार इनके द्वारा शासन के निर्देशों की अवहेलना करना तथा अपने कार्य के प्रति लापरवाही के कारण खुले में रखे आनाज को वर्षा से नुकसान हुआ है इससे यह स्पष्ट होता है कि इनका यह कृत्य पदीय दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही, अनुशासनहीनता एवं स्वैच्छाचारिता का प्रतीत होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है। इनका यह कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम में निहित प्रावधानों के वितरित है। इस कृत्य के लिए क्यों न इनकी दो वार्षिक वेतनवृद्धि रोके जाने की कार्यवाही प्रस्तावित की जाए। पत्र में लेख किया गया है कि पत्र का जबाव दो दिवस के अन्दर समक्ष में उपस्थित होकर प्रस्तुत करें। जबाव प्राप्त न होना अथवा समाधानकारक न होने की दशा में तदानुसार कार्यवाही की जाएगी।

ओपन कैप की मजबूती की अनदेखी कर कराया भंडारण

ओपन कैप लक्ष्मीपुर में अब तक इस तरह से 3 लाख क्विंटल से अधिक गेहूं का सुरक्षित भण्डारण किया गया।
पन्ना जिले में गेहूं उपार्जन कार्य में इस बार जैसी अंधेरगर्दी पहले कभी नहीं देखी गई। खरीदी के दौरान जहां पूरे समय किसानों का शोषण होने, उनसे अतिरिक्त अनाज और रुपये की उगाही केन्द्रों पर होने की ख़बरें सुर्ख़ियों में रहीं हैं वहीं जिले में भंडारण सरंचना का नितांत आभाव होने के कारण केन्द्रों से गेहूं का परिवहन समय पर नहीं हो सका। इससे अधिकाँश समय केन्द्रों पर हजारों क्विंटल गेहूँ की बोरियों का अंबार लगा रहा। ओपन कैप लक्ष्मीपुर, शाहनगर और अजयगढ़ के निर्माण में काफी देरी होने की वजह से पन्ना से बड़ी मात्रा में गेहूं को भंडारण के लिए पड़ोसी जिला कटनी और दमोह भेजना पड़ा है।
ओपन कैप लक्ष्मीपुर में शेष बचे स्थान पर गेहूं का भंडारण कराते हुए वेयर हाउस कार्पोरेशन प्रबंधक पन्ना गुलाब सिंह।
जिले में ओपन कैप निर्माण में हुई लेटलतीफी के कारण जब गेहूं परिवहन व्यवस्था पूरी तरह चरमराने लगी तो अपनी उदासीनता को छिपाने के लिए अधिकारियों ने आनन-फानन में ओपन कैप के विशालकाय चबूतरों के मजबूत होने का इंतजार किये बगैर ही उनमें लाखों क्विंटल अनाज भंडारित कराने की चर्चाएं हैं। लक्ष्मीपुर और अजयगढ़ के चबूतरों (ओपन-कैप) की सेंटरिंग को कथित तौर पर महज 5-6 दिन में ही खुलवा दिया गया जबकि आमतौर पर निर्मित संरचना की मजबूती के लिए इसे 20 दिन से लेकर एक माह तक लगाकर रखा जाता है। इसका दुष्परिणाम अब मौके पर दिखने लगा है। नवनिर्मित ओपन कैप के चबूतरे कई जगह से धंस चुके हैं। इनमें अभी से दरारें फटने से लाखों क्विंटल अनाज के वजन से चबूतरों के धराशाई होने की आशंका निर्माण कार्य से जुड़े जानकार जाता रहे हैं।

25 केन्द्रों पर 1 से 10 हजार क्विंटल तक अनाज 

महेवा केन्द्र की बदहाली का नजारा बयां करती हुई तस्वीर।
उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले में किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 26 मई को बंद हो गई थी। इस तरह 12 दिन बाद भी जिले के खरीदी केन्द्रों में 6 जून तक की स्थिति में 1 लाख 39 हजार क्विंटल से अधिक अनाज भंडारण के लिए परिवहन होने के इंतजार में डंप है। उपार्जन केन्द्रवार भंडारण हेतु शेष अनाज की मात्रा पर गौर करें तो जिले के 71 केन्द्रों में से 25 में 1 से लेकर 10 हजार क्विंटल तक गेहूं आज भी खुले आसमान के नीचे रखा है। जबकि अन्य जिलों में अनाज का सुरक्षित भंडारण कब का हो चुका है। जिले के जिन केन्द्रों अनाज की बोरियों का ढेर लगा है उनमें सुनवानीकला, ककरहटी, अहिरगवां, बनहरीकला, पहाड़ीखेरा, जवाहर विपणन समिति देवेन्द्रनगर, समिति जसवंतपुरा, झरकुआ, सिमरिया, सिंगवारा, मोहन्द्रा, बिसानी, रैय्यासांटा, झुमटा, आमा, द्वारी, महेवा, पुरैना आदि शामिल हैं। अनाज भंडारण की बेहद लचर व्यवस्था के चलते पन्ना के केन्द्रों में शेष बचे अनाज का पूर्ण भंडारण कब तक हो संभव हो पायेगा कहना मुश्किल है। लेकिन इसमें अब यदि जरा भी लापरवाही हुई तो केन्द्रों में रखे अनाज को मानसून की मार झेलनी पड़ सकती। अगर ऐसा हुआ तो शेष अनाज को बारिश में बर्बाद होने से बचा पाना आसान नहीं होगा।