पन्ना में चल रहे वन्य प्राणियों के अंगों की तस्करी के क़ारोबार का भंडाफोड़, किसान कोंग्रेस प्रदेश महामंत्री समेत तीन आरोपी जबलपुर में गिरफ्तार

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जबलपुर में पकड़े गए वन्यजीवों के अंगों की तस्करी करने वाले पन्ना एवं छतरपुर के आरोपियों से जप्त तेंदुए एवं चीतल की खाल।

* पकड़े गए युवकों से तेन्दुए और चीतल की खाल जप्त की गई

* फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर खालों को बेंचने की फिराक में थे आरोपी

* स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स को मिले संगठित गिरोह के शामिल होने के सबूत

* नदी में मिले सिर विहीन बाघ के मामले का खुलासा होने की जागी उम्मीद

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के जंगलों में पिछले करीब तीन साल से दो दर्जन तेन्दुओं एवं आधा दर्जन बाघों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने और इनके शिकार की अत्यंत ही हैरान करने वाली घटनाओं के मद्देनजर जिस बात की आशंका जताई जा रही थी, वह सच साबित हुई है। पन्ना में चल रहे वन्य जीवों के अंगों की तस्करी के अवैध कारोबार से जुड़ा बड़ा खुलासा स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स भोपाल और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो जबलपुर की संयुक्त कार्रवाई से हुआ है। वन्यजीवों से जुड़े अपराधों की रोकथाम करने वाली इन एजेंसियों ने गुरुवार 17 सितंबर को गुप्त सूचना के आधार पर जबलपुर में एक चार पहिया वाहन की तालाशी लेते हुए उसमें छिपाकर रखी गई तेन्दुए और चीतल की एक-एक नग खाल बरामद की।
किसान कोंग्रेस प्रदेश महामंत्री जीतेन्द्र उर्फ़ जीतू तिवारी।
इस मामले में पन्ना एवं छतरपुर जिले के तीन युवकों को गिरफ्तार किया गया है। पकड़े गए आरोपियों में किसान कोंग्रेस का प्रदेश महामंत्री जीतेन्द्र उर्फ़ जीतू तिवारी निवासी ग्राम बृजपुर जिला पन्ना शामिल है। जीतू तिवारी पुलिस आरक्षक का पुत्र है। इसके अलावा ओमप्रकाश सेन पिता प्रकाशचन्द्र सेन निवासी ग्राम सुनहरा जिला पन्ना एवं उमेश पटेल पिता रामनारायण पटेल निवासी छतरपुर को भी गिरफ्तार किया गया है। प्रारंभिक जांच में वन्यजीवों के अंगों की तस्करी के अवैध कारोबार में संगठित गिरोह के शामिल होने से जुड़े साक्ष्य मिले हैं। इस मामले में अभी अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी होना बाकी है। बहरहाल इस भड़ाफोड़ के बाद से पन्ना टाइगर रिजर्व समेत जिले के उत्तर एवं दक्षिण वन मण्डल समेत समूचे छतरपुर वृत्त अंतर्गत वन विभाग में हड़कम्प मचा है। वन विभाग के स्थानीय अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

खाल बेंचने की फिराक में थे आरोपी

प्राप्त जानकारी के अनुसार तेन्दुए और चीतल की खाल बेंचने के लिए तीन युवक पन्ना से चार पहिया वाहन से जबलपुर आए थे। मध्य प्रदेश वन्यप्राणी मुख्यालय भोपाल को इनके संबंध में गुप्त सूचना प्राप्त होने पर कार्रवाई के लिए स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स भोपाल-जबलपुर एवं वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो जबलपुर की टीम गठित की गई। इस टीम के द्वारा संयुक्त रूप से योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई करते हुए जबलपुर में होटल दत्त रेसीडेन्सी के पास से वाहन को रोककर संदेह के आधार पर पूंछतांछ की गई और वाहन की तलाशी ली गई तो उसमें तेन्दुए और चीतल की एक-एक नग खाल पाई गई। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि पकड़े गए आरोपी फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर खालों को बेंचने की फिराक में थे।
इस मामले में कोंग्रेस नेता जीतेन्द्र उर्फ़ जीतू तिवारी निवासी ग्राम बृजपुर, ओमप्रकाश सेन पिता प्रकाशचन्द्र सेन निवासी ग्राम सुनहरा जिला पन्ना एवं उमेश पटेल पिता रामनारायण पटेल निवासी छतरपुर के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण कायम किया गया है। पकड़े गए आरोपियों से पूंछतांछ जारी है। इस मामले में अभी कुछ और आरोपियों की गिरफ्तारी होना शेष है। इस दिशा में आवश्यक प्रयास जारी हैं। गिरफ्तार युवकों को विशेष टीएफएस न्यायालय जबलपुर में पेश कर विस्तृत पूंछतांछ के लिए उन्हें रिमांड पर लेने की बात कही जा रही है।

पहले भी जप्त हुए वन्य प्राणियों के अंग

फाइल फोटो।
वन्यजीवों के अंगों की तस्करी करने वाले गिरोह के भंडाफोड़ के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व में पिछले माह केन नदी में मिले सिर विहीन बाघ पी-123 के शिकार मामले की गुत्थी सुलझने की उम्मीद की जा रही है। इस युवा बाघ का सिर समेत अन्य अंग अज्ञात शिकारी अथवा तस्कर धारदार हथियार से काट ले गए। इस बहुचर्चित प्रकरण में शामिल आरोपियों का सुराग लगाकर उन्हें गिरफ्तार करने एवं बाघ के गायब अंगों को बरामद करने के लिए जांच एजेन्सी स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स भोपाल की टीम कुछ दिनों के अंतराल में दूसरी बार पन्ना के दौरे पर आई है। मालूम होकि पन्ना जिले में वन्यजीवों के शिकार के बाद उनके अंग काट ले जाने की घटनाएं पहले भी प्रकाश में आईं हैं। जिले के उत्तर वन मण्डल की धरमपुर रेन्ज अंतर्गत कुछ माह पूर्व जंगल में करंट बिछाकर तेंदुए का शिकार किया गया था। जिसके कई अंग गायब थे बाद में इस मामले में गिरफ्तार शिकारियों से गायब अंग जप्त किये गए थे। वहीं दक्षिण वन मण्डल पन्ना अंतर्गत फंदा लगाकर तेन्दुए का शिकार किये जाने की घटनाएं कुछ समय पूर्व सामने आईं थीं।
फाइल फोटो।
इसके अलावा दक्षिण वन मण्डल की ही पवई रेन्ज अंतर्गत डेढ़ वर्ष पूर्व भालू का शिकार कर उसके शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग शिकारी काट ले गए थे। तत्कालीन पवई रेंजर शिशुपाल अहिरवार ने भालू के शिकारियों को गिरफ्तार कर उनके द्वारा तस्करों को बेंचने के लिए छिपाकर रखे गए अंगों को जप्त किया था। वहीं पन्ना में एक झोलाछाप चिकित्सक के क्लीनिक में छापा मारकर एसटीएसएफ ने पेंगोलिन के कई अंग जप्त किये थे। वन्यजीवों के कुछ ख़ास अंगों का इस्तेमाल जोशवर्धक दवाएं बनाने में होने की वजह से अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में इनकी काफी मांग है। इनका एक एक-एक अंग लाखों रुपए में बिकता है।

वन विभाग के स्थानीय अफसरों की नाकामी उजागर

केन नदी में सर्चिंग के दौरान बाघ पी-123 का शव इस स्थिति में बरामद हुआ था, उसका सिर गायब था। (फाइल फोटो)
उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले में लम्बे समय से बड़े पैमाने पर चल वन्यजीवों के शिकार और उनके अंगों की तस्करी के अवैध कारोबार की वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों-कर्मचारियों और विभागीय ख़ुफ़िया तंत्र को भनक न लगना बड़ी नाकामी के तौर पर देखा जा रहा है। यह खुलासा ऐसे समय हुआ है जब पन्ना जिले में बाघों-तेन्दुओं व दूसरे शाकाहारी वन्यप्राणियों के शिकार की घटनाओं, संदिग्ध परिस्थितियों में इनकी मौत से जुड़े मामलों में प्रभावी तरीके से रोक लगा पाने में पूरी तरह विफल और अक्षम साबित हो रहे पन्ना टाइगर रिजर्व, उत्तर एवं दक्षिण वन मण्डल के अधिकारियों पर सच्चाई को छिपाकर कर अपनी विफलताओं अथवा कारगुजारियों पर पर्दा डालने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। पन्ना में पिछले कुछ समय से तेजी से बढ़ती वन्यजीवों खासकर बाघों एवं तेन्दुओं की मृत्यु से जुड़ीं चिंताजनक घटनाएं वन्यजीव प्रेमियों, स्थानीय लोगों को लगातार असहज और विचलित कर रहीं थीं। इसका ताजा उदाहरण पिछले महीने 10 अगस्त को पन्ना टाइगर रिजर्व के कड़ी सुरक्षा व्यवस्था वाले कोर क्षेत्र में आपसी संघर्ष के बाद केन नदी में गिरे युवा बाघ पी-123 का सिर विहीन शव मिलना है।

बाघ के अंग गायब होने की बात छिपाई

बाघ पी-123 के पोस्टमार्टम की कार्रवाई के दौरान लिया गया चित्र। (फाइल फोटो)
जंगल के राजा बाघ के अंगों की तस्करी से सीधे जुड़े इस संवेदनशील प्रकरण के समूचे घटनाक्रम में महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाने और आपराधिक लापरवाही के आरोप पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन पर लग रहे हैं। इस युवा बाघ का तीसरे दिन नदी में जब शव मिला तो उसका सिर, यौन अंग और पंजा गायब था। युवा बाघ के सिर विहीन धड़ को देखकर साफ़ नजर आ रहा था कि धारदार हथियार से उसका सिर एवं अन्य अंग काटे गए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट उल्लेख वन्यप्राणी चिकित्सक के द्वारा किया गया। लेकिन इसके बाद भी पार्क के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने बाघ पी-123 की शव मिलने संबंधी जो प्रेस नोट जारी किया उसमें बाघ के सिर को नदी में सम्भवतः मगरमच्छों के द्वारा निवाला बनाए जाने की कहानी गढ़ी गई। प्रेस रिलीज में बाघ के सिर के अलावा अन्य अंगों के भी गायब होने का उल्लेख तक नहीं किया गया। करीब एक माह तक यह सनसनीखेज मामला दबा रहा। मगर जब प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल को इसकी भनक लगी तो उन्होंने आनन-फानन में 3 सितंबर को इसकी जांच स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स भोपाल को सौंपते हुए सहयोग के लिए दो दो विषय विशेषज्ञों को भी जांच कमिटी में बतौर सदस्य शामिल किया। फिलहाल एसटीएसएफ की टीम इस मामले की गहन जांच-पड़ताल में जुटी है।

पार्क प्रबंधन की कारगुजारियों को लेकर आक्रोश

फाइल फोटो।
पन्ना टाइगर रिजर्व अंतर्गत पिछले 9 माह में पांच बाघों की मौत के मामले सामने आए हैं। इनमें एक रेडियो कॉलर्ड बाघिन भी शामिल है। विदित होकि रेडियो कॉलर्ड बाघों की निगरानी के लिए टाइगर ट्रेकिंग टीम चार पहिया वाहन में सवार होकर चौबीसों घण्टे उनके पीछे लगी रहती है और नियमित अंतराल में सिग्नल चैक करती है। हैरानी इस बात की है कि रेडियो कॉलर्ड बाघिन समेत चार बाघों के शव मृत्यु के कई दिन बाद काफी सड़े-गले एवं कंकाल की हालत में मिले थे। जिससे इनकी मौत के वास्तविक कारणों का पता चल पाना संभव नहीं है। पन्ना टाइगर रिजर्व अंतर्गत बाघ-तेंदुओं की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने के कई दिन बाद उनके शव कंकाल की हालत में मिलने एवं नदी में गिरे बाघ का सिर विहीन शव बरामद होने के मामले में सच्चाई को छिपाकर अपने नाकारेपन पर पर्दा डालने के लिए बाघ की मौत की काल्पनिक कहानी गढ़ने वाले अफसरों के इस आपराधिक कृत्य को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है। दरअसल इसी तर्ज पर बाघों की मृत्यु की सच्चाई और तथ्यों को लम्बे समय तक छिपाने के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व वर्ष 2009 में बाघ विहीन हो गया था।

.. कहीं फिर बाघ विहीन न हो जाए पन्ना

मृत बाघ शावक का कंकाल रुपी क्षत-विक्षत शव।
सदियों से बाघों का प्राकृतिक रहवास रहे पन्ना के जंगलों को बाघों से पुनः आबाद करने के लिए करीब 10 वर्ष पूर्व यहां बाघ पुनर्स्थापना कार्यक्रम शुरू किया गया था। पार्क के पूर्व अफसरों एवं मैदानी अमले के अथक परिश्रम से बाघ पुनर्स्थापना कार्यक्रम ने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए। फलस्वरूप पन्ना में बाघों के संरक्षण और उनकी वंशवृद्धि पूरे विश्व के लिए शोध का विषय बनीं है। लेकिन विडंबना यह है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में में जब बाघों की संख्या रिकार्ड स्तर पर पहुँच चुकी तब इनकी मौत व शिकार से जुड़ीं बेहद चिंताजनक घटनाओं के सामने आने और यहां वन्यजीवों के शिकार, उनके अंगों की तस्करी करने वाले गिरोह के सक्रिय होने के भंडाफोड़ के मद्देनजर वन विभाग के मौजूदा अधिकारियों के रहते हुए पन्ना के एक बार फिर बाघ विहीन होने का डर सताने लगा है।