राहुल गाँधी की सभा में ऐसी क्या बात हुई जिसे लेकर नाराज हैं तीन जिलों के कांग्रेस नेता ! वजह जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर

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पन्ना जिले के अमानगंज क़स्बा में आयोजित हुई आमसभा में मंचासीन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी।
शादिक खान, पन्ना। रडार न्यूज  मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड अंचल की लोकसभा सीटों दमोह, टीकमगढ़ और खजुराहो में 6 मई को मतदान होना है। इसलिए इन संसदीय क्षेत्रों में चुनाव प्रचार 4 मई को थम जाएगा। मतदान की उल्टी गिनती शुरू होने के मद्देनज़र बुन्देलखण्ड में भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने यहाँ फोकस करते हुए चुनावी सभाएँ शुरू कर दीं हैं। पिछले दिनों खजुराहो संसदीय क्षेत्र अंतर्गत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राजनगर में आमसभा की थी। मंगलवार 30 अप्रैल को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने बुन्देलखण्ड के दमोह, टीकमगढ़ और खजुराहो में चुनावी सभाओं को सम्बोधित किया। प्रचंड धूप और गर्मी के बाबजूद राहुल गाँधी की तीनों ही सभाओं में अच्छी-खासी भीड़ जुटी। यह गाँधी परिवार और राहुल का जादू ही था कि आसमान से बरसती आग (झुलसा देने वाली गर्मी) के बीच बड़ी तादाद में लोग निजी साधनों या फिर बस में किराया देकर उन्हें सुनने और देखने पहुँचे। खजुराहो संसदीय क्षेत्र अंतर्गत आने वाले पन्ना जिले के अमानगंज कस्बा में आयोजित राहुल की आमसभा में जितने लोग पण्डाल के अंदर मौजूद थे उससे कई गुना अधिक भीड़ बाहर ग्राउण्ड में प्रचंड धूप में खुले आसमान के नीचे खड़ी थी। उमड़े जन सैलाब और लोगों के अपार उत्साह के लिहाज से कांग्रेस की चुनावी आमसभा सफल रही। हालाँकि, मंच की बैठक व्यवस्थाओं को लेकर कांग्रेसियों में जबरदस्त आंतरिक नाराजगी और असंतोष देखा गया। पड़ोसी जिला कटनी, छतरपुर से आए कई स्थानीय वरिष्ठ नेताओं को यथोचित सम्मान नहीं मिला। साथ ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे क्षेत्रीय दिग्गज नेताओं की भी उपेक्षा की गई। इससे कांग्रेसियों का नाराज होना स्वाभाविक है।

सोशल मीडिया पर दिखने लगी नाराजगी

आमसभा में उपस्थित क्षेत्र के लोग।
राहुल गाँधी की आमसभा में कथित अव्यवस्थाओं को लेकर पार्टी के अंदरखाने व्याप्त असंतोष सोशल मीडिया पर दिखने लगा है। मतदान के ठीक पहले कांग्रेस की प्याली में उठे इस तूफान को भाजपा समेत अन्य पार्टियां अपने लिए अच्छा संकेत मान रहीं है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी की आमसभा में मंच के ठीक सामने नीचे कुर्सियों में बैठे कांग्रेस के कई नेता आपस में यह चर्चा करते रहे कि अमानगंज में आमसभा का आयोजन होने के मद्देनजर यहाँ के प्रथम नागरिक अर्थात नगर परिषद अध्यक्ष हक्कुन दहायत को मंच पर स्थान मिलना चाहिए था। इसके अलावा खजुराहो संसदीय क्षेत्र अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों से चार माह पूर्व विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे नेताओं को सम्मान देते हुए उन्हें भी मंचासीन किया जाता तो लोगों में अच्छा संदेश जाता।
दरअसल, वे किन्हीं कारणों से चुनाव भले ही जीत नहीं सके लेकिन प्रत्येक प्रत्याशी को हजारों की तादाद में वोट तो मिले हैं, इसे नाकारा नहीं जा सकता। इसके अलावा उनका अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव भी है। कतिपय कांग्रेसियों का मानना है कि गुनौर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आमसभा आयोजित होने से क्षेत्रीय कांग्रेस विधायक शिवदयाल बागरी का स्वागत भाषण कराया जाता या फिर उन्हें आभार प्रदर्शन में बोलने के लिए आमंत्रित करके दलित वर्ग को साधा जा सकता था। विदित हो कि मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन होने से खजुराहो संसदीय सीटसमाजवादी पार्टी को मिली है। दलितों के बीच अच्छी-खासी पैठ रखने वाली बहुजन समाज पार्टी का प्रत्याशी इस बार चुनाव मैदान में न होने से कांग्रेस के पास दलितों को अपने पाले में लाने का सुनहरा अवसर है। लेकिन, दलित नेताओं की जाने-अनजाने में हुई कथित उपेक्षा सरीकी गलतियाँ इस नाजुक समय में कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकती हैं।

परिक्रमा करने वाले पदाधिकारी हुए उपकृत

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी की आमसभा में पहुँचे कुछ वरिष्ठ नेताओं ने मंच पर जिला कांग्रेस कमेटी पन्ना के दो पदाधिकारियों की मौजूदगी को लेकर गहरी नाराजगी व्याप्त है। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर सीनियर नेताओं ने बताया कि जिला कांग्रेस कमेटी पन्ना के पदाधिकारियों की संख्या एक सैंकड़ा से अधिक है। इनकी आपत्ती यह है कि सिर्फ दो पदाधिकारियों का चयन मंच पर राहुल गाँधी जी के साथ बैठने और उनका स्वागत करने के लिए किस आधार पर दिया गया। इससे पार्टी में व्याप्त गुटबाजी परिलक्षित होती है, क्योंकि अन्य पदाधिकारियों के साथ भेदभाव किया गया।
एक सवाल के जबाब में सीनियर नेताओं ने बताया कि हम सब यह भली-भाँति जानते हैं कि मंच की अपनी गरिमा है, वहाँ सैंकड़ा भर पदाधिकरियों को नहीं बैठाया जा सकता, खासकर एसपीजी सुरक्षा प्राप्त राहुल गाँधी की आमसभा में तो यह मुनकिन ही नहीं है। लेकिन अच्छा होता कि अनावश्यक की बातों से बचने के लिए आयोजकगण जिला कांग्रेस के पदाधिकारियों के साथ एक सामान व्यवहार करते तो शायद किसी को शिकायत नहीं होती। एक सीनियर नेता कहना है कि दरअसल राजनीति का मौजूदा दौर परिक्रमा का है जिसके आगे सभी योग्यताएँ और नियम शिथिल पड़ जाते हैं। मजेदार बात यह है कि आमसभा में मंच पर विराजमान मान रहे जिला कांग्रेस के दोनों पदाधिकारियों और कथित तौर उन्हें यह अवसर प्रदान करने वालों के खिलाफ कांग्रेसी ही सोशल मीडिया पर जमकर कटाक्ष कर रहे हैं।

क्यों नदारत रहे दिग्गज नेता !

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी की अमानगंज में हुई आमसभा में पूर्व मंत्री एवं पवई विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे मुकेश नायक और खजुराहो सीट से लगातार दो बार चुनाव लड़ने वाले पूर्व मंत्री राजा पटैरिया की अनुपस्थिति लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी है। सर्वविदित है कि खजुराहो सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कविता सिंह का मुकाबला भाजपा के विष्णु दत्त शर्मा से है। चुनाव में जातीय संतुलन फैक्टर के महत्व को देखते हुए कुछ लोगों को मानना है कि दोनों पूर्व मंत्री अगर आमसभा में शामिल होते तो लोगों के बीच अच्छा सन्देश जाता। कांग्रेस के दोनों दिग्गज नेता इतने महत्वपूर्ण आयोजन से नदारत क्यों रहे, फिलहाल यह पता नहीं चल सका। हालाँकि इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएँ व्याप्त है। उधर, कांग्रेस के ही कुछ लोग दबी जुबान आमसभा का पंडाल छोटा होने के कारण व्यवस्थाओं की आलोचना कर रहे हैं। इनका कहना है कि हजारों लोगों को झुलसा देने वाली गर्मी और धूप में खड़े होकर राहुल गाँधी का भाषण सुनने को मजबूर होना पड़ा। इस पर आयोजकों की ओर से सफाई देते हुए यह समझाया जा रहा है कि प्रत्याशी का चुनाव खर्च निर्धारित सीमा के अंदर रहे इसलिए कई बार न चाहते हुए भी सीमित व्यवस्थायें करना मजबूरी हो जाती है।